Edited By Utsav Singh,Updated: 31 Aug, 2024 02:11 PM
केरल के पलक्कड़ में आज, शनिवार से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की महत्वपूर्ण अखिल भारतीय समन्वय बैठक शुरू हो गई है। यह बैठक 2 सितंबर तक चलेगी और संघ के संगठनात्मक कार्यों और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा का महत्वपूर्ण मंच बनेगी।
केरल : केरल के पलक्कड़ में आज, शनिवार से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की महत्वपूर्ण अखिल भारतीय समन्वय बैठक शुरू हो गई है। यह बैठक 2 सितंबर तक चलेगी और संघ के संगठनात्मक कार्यों और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा का महत्वपूर्ण मंच बनेगी।
पहले दिन की गतिविधियां
"बैठक के पहले दिन संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सभी छह सह सरकार्यवाह और अन्य अखिल भारतीय पदाधिकारी बैठक में उपस्थित थे। भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी इस बैठक में शामिल हुए, जो बैठक की महत्वता को और बढ़ाता है।
क्या हैं बैठक की प्रक्रिया और एजेंडा
तीन दिवसीय इस अखिल भारतीय समन्वय बैठक का आयोजन हर वर्ष किया जाता है। बैठक के आयोजन से पहले वायनाड में हाल ही में हुए भूस्खलन की जानकारी दी गई, साथ ही स्वयंसेवकों द्वारा की गई सहायता और सेवा कार्यों का विवरण भी साझा किया गया। बैठक के दौरान विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता अपने कार्यों और अनुभवों को साझा करेंगे। बैठक में राष्ट्रीय हित से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा की जाएगी, जिसमें हाल की महत्वपूर्ण घटनाएं, सामाजिक परिवर्तन, और विभिन्न योजनाएं शामिल हैं। इस प्रकार की बैठकें संगठन के कार्यों और राष्ट्रीय मुद्दों पर व्यापक चर्चा का अवसर प्रदान करती हैं।
प्रतिनिधियों की उपस्थिति
इस बैठक में कई प्रमुख हस्तियां और संगठन के कार्यकर्ता शामिल हैं। इनमें राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शान्तका, प्रमुख कार्यवाहिका सीता अन्नदानम, वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह, और पूर्व सैनिक सेवा परिषद के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) वीके चतुर्वेदी शामिल हैं। अन्य उपस्थित लोगों में नारायण भाई शाह, विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार, महामंत्री बजरंग बागड़ा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री आशीष चौहान, और भाजपा के महामंत्री संगठन बीएल संतोष भी शामिल हैं। इन सभी प्रतिनिधियों की उपस्थिति से बैठक की महत्वता और व्यापकता को दर्शाया जा रहा है।
संघ के 32 सहयोगी संगठनों की भागीदारी
इस बैठक में संघ के 32 सहयोगी संगठनों के कुल 320 प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। सुनील आंबेकर ने पहले ही जानकारी दी थी कि इस बैठक में विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता अपने कार्यों और अनुभवों का आदान-प्रदान करेंगे। बैठक में राष्ट्रीय हित से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जिसमें वर्तमान परिदृश्य, हाल की महत्वपूर्ण घटनाएं, और सामाजिक परिवर्तन के आयाम शामिल हैं। सभी संगठनों के प्रतिनिधि परस्पर सहयोग और समन्वय को बढ़ाने के उपायों पर भी विचार करेंगे।
लोकसभा चुनाव के बाद की अहमियत
लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद संघ नेताओं द्वारा विभिन्न मुद्दों पर किए गए बयानों के बीच, इस बैठक को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बैठक में भाजपा के नेता चुनाव परिणामों को लेकर पार्टी की स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं। इसके साथ ही, पार्टी की आगामी योजनाओं और एजेंडे के बारे में भी जानकारी दी जा सकती है। इस प्रकार, बैठक में पार्टी की भविष्य की रणनीतियों और दृष्टिकोण को लेकर महत्वपूर्ण चर्चाएँ होने की संभावना है।