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घने कोहरे से ढका था Runway, लैंडिंग से ठीक पहले रास्‍ता भूल गया Pilot और फिर जो हुआ उसके बाद कांप उठी दुनिया

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 28 Jan, 2025 03:51 PM

runway was covered with dense fog the pilot lost his way just before landing

यह घटना 28 जनवरी 2002 की है जो आज भी याद कर दिल दहला देती है। उस दिन टेम एयरलाइंस की फ्लाइट 120 ने इक्वाडोर के क्विटो से उड़ान भरी थी। विमान को तुलकान के टेनिएंटे कोरोनेल लुइस ए. मंटिला इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड करना था। इस फ्लाइट में कुल 94 लोग...

नेशनल डेस्क। यह घटना 28 जनवरी 2002 की है जो आज भी याद कर दिल दहला देती है। उस दिन टेम एयरलाइंस की फ्लाइट 120 ने इक्वाडोर के क्विटो से उड़ान भरी थी। विमान को तुलकान के टेनिएंटे कोरोनेल लुइस ए. मंटिला इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड करना था। इस फ्लाइट में कुल 94 लोग सवार थे जिसमें यात्री और क्रू मेंबर्स शामिल थे।

मौसम की गलत जानकारी बनी हादसे की वजह

टेकऑफ से पहले पायलट को बताया गया था कि तुलकान का मौसम बिल्कुल साफ है और लैंडिंग के लिए अनुकूल है लेकिन तुलकान पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है जहां मौसम अचानक बदल सकता है। जब तक फ्लाइट तुलकान पहुंची वहां घना कोहरा छा गया था। रनवे की एलाइनमेंट लाइट्स तक दिखाई नहीं दे रही थीं जिससे लैंडिंग करना चुनौतीपूर्ण हो गया।

 

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पायलट ने लिया जोखिम भरा फैसला

फ्लाइट के कैप्टन 59 वर्षीय जॉर्ज एफ्रेन नोए और उनके फर्स्ट ऑफिसर 52 वर्षीय कार्लोस अल्फोंसो लोपेज़ ने स्थिति का आकलन किया। कैप्टन जॉर्ज के पास 12,000 घंटे की फ्लाइंग का अनुभव था इसलिए उन्हें भरोसा था कि वे विमान को सुरक्षित लैंड करा लेंगे। फर्स्ट ऑफिसर ने भी उनके फैसले का समर्थन किया।

विमान को रनवे की ओर बढ़ाया गया लेकिन घने कोहरे के कारण कैप्टन जॉर्ज को अंदाजा नहीं हुआ कि वे रनवे के बजाय एक पहाड़ी की ओर बढ़ रहे हैं।

 

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कुंबल ज्वालामुखी से टकराया विमान

लैंडिंग से कुछ सेकंड पहले पायलट को अपनी गलती का अहसास हुआ। उन्होंने विमान को संभालने की कोशिश की लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। फ्लाइट 120 सुबह 10:23 बजे कुंबल ज्वालामुखी की ढलान से टकरा गई। हादसा इतना भीषण था कि विमान में आग लग गई और सभी 94 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।

कैसे हुई यह गलती?

जांच में सामने आया कि पायलट को घने कोहरे के कारण रनवे सही से दिखाई नहीं दिया। इसके चलते विमान गलत दिशा में चला गया और पहाड़ी से टकरा गया। अगर पायलट ने मौसम की स्थिति देखते हुए लैंडिंग को टालने का फैसला लिया होता तो शायद यह हादसा टल सकता था।

 

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दुनिया के लिए सबक

यह हादसा पायलट और एविएशन इंडस्ट्री के लिए एक सीख बन गया। मौसम की स्थिति को समझने और सही फैसले लेने का महत्व एक बार फिर स्पष्ट हुआ। हादसे के बाद विमानन सुरक्षा नियमों को और सख्त किया गया।

वहीं इस दुर्घटना ने न केवल 94 जिंदगियां लीं बल्कि विमानन इतिहास में एक ऐसा अध्याय जोड़ दिया जो आज भी दुख और सीख दोनों का प्रतीक है।

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