Edited By Anu Malhotra,Updated: 03 Dec, 2024 09:01 AM
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रुपया सोमवार को 84.70 प्रति डॉलर के नए निचले स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले छह महीनों में सबसे बड़ी गिरावट है। विशेषज्ञों का मानना है कि रुपया जल्द ही 85 प्रति डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर को छू सकता है। अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में नरमी और नॉन-डिलिवरेबल...
मुंबई: रुपया सोमवार को 84.70 प्रति डॉलर के नए निचले स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले छह महीनों में सबसे बड़ी गिरावट है। विशेषज्ञों का मानना है कि रुपया जल्द ही 85 प्रति डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर को छू सकता है। अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में नरमी और नॉन-डिलिवरेबल फॉरवर्ड (एनडीएफ) मार्केट में डॉलर की मजबूत मांग के चलते रुपया गिरकर 84.70 प्रति डॉलर के नए निचले स्तर पर आ गया। यह गिरावट 0.25% की तेज गिरावट थी, जो पिछले छह महीनों में सबसे बड़ी है। बीते शुक्रवार को रुपया 84.49 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
पिछले एक महीने में डॉलर के मुकाबले रुपये में 0.73% की गिरावट आई है। आरबीआई की शॉर्ट पोजीशन और एनडीएफ मार्केट में दबाव के कारण रुपये में और कमजोरी की संभावना जताई जा रही है।
डॉलर की मांग बढ़ने से दबाव: बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये पर दबाव जारी रहेगा। केंद्रीय बैंक की सीमित हस्तक्षेप क्षमता के चलते यह दबाव और बढ़ सकता है।
85 का स्तर कब पार होगा? यह आरबीआई की हस्तक्षेप रणनीति पर निर्भर करेगा।
मनोवैज्ञानिक स्तर: रुपया 85 प्रति डॉलर के स्तर को छू सकता है, जो निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है।
विदेशी मुद्रा भंडार में कमी
-पिछले दो महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार 48 अरब डॉलर घट गया है।
-आरबीआई ने 70 अरब डॉलर की शॉर्ट पोजीशन ली है, जिससे मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप की गुंजाइश कम हो गई है।
विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट
नवंबर 2024 में भारत के विनिर्माण क्षेत्र की एचएसबीसी पीएमआई 56.5% रही, जो 11 महीने के निचले स्तर पर है।
ऑर्डर में धीमी वृद्धि से विनिर्माण गतिविधियों में नरमी का संकेत मिलता है।
दोपहिया वाहन बिक्री घटी
नवंबर में प्रमुख दोपहिया वाहन कंपनियों जैसे हीरो मोटोकॉर्प और बजाज ऑटो की घरेलू बिक्री में 4-7% तक की कमी आई।
अक्टूबर में त्योहारी सीजन के कारण बिक्री में तेजी देखी गई थी, लेकिन नवंबर में इसमें गिरावट आई।
रुपये पर दबाव और विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में नरमी से यह संकेत मिलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को इन परिस्थितियों में संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा। 85 प्रति डॉलर का स्तर आरबीआई और बाजार भागीदारों के लिए एक महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक और आर्थिक संकेतक बन सकता है।