Edited By Anu Malhotra,Updated: 10 Feb, 2025 10:26 AM
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सोमवार को रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया, क्योंकि संभावित अमेरिकी व्यापार टैरिफ को लेकर चिंता बढ़ गई है। इसका असर पूरे एशियाई बाजारों पर दिखा, जिससे अधिकांश क्षेत्रीय मुद्राओं में गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों ने रॉयटर्स को बताया...
नेशनल डेस्क: सोमवार को रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया, क्योंकि संभावित अमेरिकी व्यापार टैरिफ को लेकर चिंता बढ़ गई है। इसका असर पूरे एशियाई बाजारों पर दिखा, जिससे अधिकांश क्षेत्रीय मुद्राओं में गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों ने रॉयटर्स को बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये को स्थिर करने के लिए जल्द ही हस्तक्षेप कर सकता है।
सुबह के कारोबार में रुपया 87.95 प्रति डॉलर तक कमजोर हो गया, जो पिछले सप्ताह के 87.5825 के रिकॉर्ड निचले स्तर से भी नीचे चला गया। ताजा आंकड़ों के अनुसार, रुपये की विनिमय दर 87.9325 पर थी, जो दिनभर में 0.6% की गिरावट दर्शा रही थी।
RBI ने किया हस्तक्षेप?
बाजार विशेषज्ञों ने बताया कि बाजार खुलने से पहले सरकारी बैंकों को डॉलर बेचते देखा गया, जिससे संकेत मिल रहा है कि यह संभवतः RBI की ओर से हस्तक्षेप था।
रुपये के 88 के स्तर को पार करने की आशंका थी, लेकिन डॉलर की बिकवाली ने इसे इस मनोवैज्ञानिक स्तर के ऊपर बनाए रखा।
ट्रंप के टैरिफ ऐलान से बढ़ी चिंताएं
इस बीच, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को घोषणा की कि वह स्टील और एल्युमीनियम आयात पर 25% टैरिफ लगाएंगे। इसके अलावा, सभी देशों पर उनकी व्यापार नीतियों के आधार पर प्रतिशोधी शुल्क (reciprocal tariffs) लागू किए जाएंगे।
डॉलर मजबूत, एशियाई मुद्राओं में गिरावट
- डॉलर इंडेक्स 108.3 तक मजबूत हुआ, जिससे अन्य मुद्राओं पर दबाव बढ़ा।
- एशियाई मुद्राओं में 0.1% से 0.6% तक की गिरावट दर्ज की गई।
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यदि डॉलर की मजबूती जारी रही और अमेरिकी टैरिफ नीति पर स्पष्टता नहीं आई, तो रुपये में और कमजोरी देखी जा सकती है।