Year Ender 2024: भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 3% कमजोर, विदेशी मुद्राओं के मुकाबले कम गिरावट

Edited By Parveen Kumar,Updated: 29 Dec, 2024 10:33 PM

rupee will weaken by 3 against the dollar in 2024

2024 में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले तीन प्रतिशत कमजोर हुआ है और यह 85.59 रुपये प्रति डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच गया है। 1 जनवरी को रुपया 83.19 रुपये प्रति डॉलर पर था, जो 27 दिसंबर तक गिरकर 85.59 रुपये हो गया।

नेशनल डेस्क : 2024 में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले तीन प्रतिशत कमजोर हुआ है और यह 85.59 रुपये प्रति डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच गया है। 1 जनवरी को रुपया 83.19 रुपये प्रति डॉलर पर था, जो 27 दिसंबर तक गिरकर 85.59 रुपये हो गया। इस साल की शुरुआत से अब तक यह रुपया के लिए सबसे बड़ी गिरावट रही है, हालांकि अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये में उतार-चढ़ाव कम था। उम्मीद जताई जा रही है कि 2025 में रुपये की स्थिति बेहतर हो सकती है।

रुपये की कमजोरी के कारण

रुपये में गिरावट के पीछे कई घरेलू और वैश्विक कारण हैं, जैसे कि रूस-यूक्रेन युद्ध, पश्चिम एशिया में संकट, और चीन की धीमी आर्थिक वृद्धि। इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर की मजबूती और भारत के व्यापार घाटे में बढ़ोतरी ने भी रुपये पर दबाव डाला। इन घटनाक्रमों का असर न केवल भारतीय रुपये पर बल्कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं पर भी पड़ा।

हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) रुपये की गिरावट को रोकने के लिए सक्रिय रूप से हस्तक्षेप कर रहा है। आरबीआई के प्रयासों से डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन कच्चे तेल के आयात और चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती जैसी समस्याएं भारत के लिए चुनौतीपूर्ण बनी हुई हैं।

पिछले दो माह में रुपये में तेजी से गिरावट

पिछले दो महीनों में रुपये में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली। अक्टूबर में रुपये ने 84 रुपये प्रति डॉलर का स्तर पार किया, और दिसंबर तक यह गिरकर 85.80 रुपये तक पहुंच गया। हालांकि, येने और यूरो के मुकाबले रुपये में सुधार हुआ है। रुपये ने जापानी येन के मुकाबले 8.7% और यूरो के मुकाबले 5% सुधार दिखाया है।

आरबीआई का हस्तक्षेप

भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये को स्थिर करने के लिए सक्रिय रूप से हस्तक्षेप किया है। विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट आई है, जो 704.89 अरब डॉलर से घटकर 644.39 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।

भारत के व्यापार संतुलन पर असर

चीन की धीमी वृद्धि, पश्चिम एशिया में संकट और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान ने भारत के व्यापार संतुलन को प्रभावित किया है, जिससे रुपये पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है।

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