Edited By Anu Malhotra,Updated: 13 Jan, 2025 09:49 AM
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, रुपया गिरकर 86.29 पर आ गया है। यह गिरावट भारतीय मुद्रा के लिए चिंता का विषय है और अर्थव्यवस्था पर कई तरह के असर डाल सकती है।
नेशनल डेस्क: डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, रुपया गिरकर 86.29 पर आ गया है। यह गिरावट भारतीय मुद्रा के लिए चिंता का विषय है और अर्थव्यवस्था पर कई तरह के असर डाल सकती है।
रुपये की गिरावट के मुख्य कारण:
अमेरिकी डॉलर की मजबूती: फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी और डॉलर में भारी निवेश।
तेल और अन्य आयात खर्च: कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने व्यापार घाटे को बढ़ा दिया है।
विदेशी पूंजी निकासी: विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पूंजी निकालकर डॉलर में निवेश कर रहे हैं।
वैश्विक अनिश्चितताएं: रूस-यूक्रेन युद्ध और अन्य भू-राजनीतिक तनावों ने भी निवेशकों का रुख डॉलर की ओर किया है।
गैर-डिलीवेरेबल फॉरवर्ड (NDF) बाजार में भी गिरावट
खबरें हैं कि गैर-डिलीवेरेबल फॉरवर्ड (NDF) बाजार में रुपया 86 का स्तर पार कर गया। रुपये की कमजोरी का प्रमुख कारण विदेशी निवेशकों द्वारा घरेलू शेयर बाजार में भारी बिकवाली है। जनवरी में अब तक उन्होंने ₹21,357 करोड़ मूल्य के शेयर बेचे हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, 3 जनवरी को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $5.693 बिलियन घटकर $634.585 बिलियन रह गया।
डॉलर की मजबूती का कारण
डॉलर की मांग बढ़ने से अमेरिकी मुद्रा मजबूत हो रही है। इसके पीछे नई अमेरिकी सरकार द्वारा संभावित व्यापार प्रतिबंधों की घोषणा की अटकलें हैं, जो 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद लागू हो सकती हैं। इस गिरावट से घरेलू अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ सकता है। हालांकि, रिजर्व बैंक रुपये की स्थिति को स्थिर रखने के लिए लगातार कदम उठा रहा है।