Edited By Yaspal,Updated: 21 Nov, 2024 07:27 PM
राजस्थान के अजमेर जिले की ब्यावर की रहने वाली 28 वर्षीय हर्षाली कोठारी ने मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ वैराग्य का रास्ता चुना है। हर्षाली बेंगलुरु की एक मल्टीनेशनल कंपनी में 32 लाख रुपये सालाना की नौकरी करती हैं। वह तीन दिसंबर को जैन धर्म की...
जयपुरः राजस्थान के अजमेर जिले की ब्यावर की रहने वाली 28 वर्षीय हर्षाली कोठारी ने मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ वैराग्य का रास्ता चुना है। हर्षाली बेंगलुरु की एक मल्टीनेशनल कंपनी में 32 लाख रुपये सालाना की नौकरी करती हैं। वह तीन दिसंबर को जैन धर्म की दीक्षा लेंगी।
अजमेर के आराधना भवन में 13 नवंबर को जैन समाज द्वारा हर्षाली के लिए भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इसमें गोद भराई और वरघोड़ा कार्यक्रम हुआ। बैंड-बाजे और जुलूस के साथ वरघोड़ा निकाला गया, जिसका विभिन्न स्थानों पर भव्य स्वागत किया गया। समारोह के दौरान जैन समाज ने हर्षाली को माला पहनाकर और शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
28 साल की हर्षाली ने वैराग्य का रास्ता अपनाने का फैसला लिया
हर्षाली के पिता अशोक कोठारी ने बताया कि उनकी बेटी ने जयपुर के लक्ष्मी निवास मित्तल कॉलेज से 2017-18 में बीटेक की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु की एक बड़ी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया। कोरोना के समय जब वर्क फ्रॉम होम चल रहा था, तब हर्षाली ने जैन संत रामलाल जी महाराज के चातुर्मास कार्यक्रम में भाग लिया। यहीं से उनका धर्म की ओर झुकाव बढ़ा।
कोरोना काल में नौकरी छोड़ने के बाद धर्म में लीन हो गईं
कोरोना काल के बाद जब कंपनी ने कार्यालय लौटने के लिए कहा, तो हर्षाली ने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह धर्म में लीन हो गईं। अब वो 3 दिसंबर को आचार्य रामलाल जी महाराज के सान्निध्य में दीक्षा लेकर संयम पथ पर चलेंगी। जैन समाज की ओर से वैरागन हर्षाली के पिता अशोक कोठारी, माता उषा कोठारी सहित अन्य परिजनों का शॉल ओढ़ाकर व माल्यार्पण कर बहुमान किया गया। संचालन कवि बुद्धिप्रकाश दाधीच ने किया।