Edited By Rohini Oberoi,Updated: 21 Mar, 2025 03:01 PM

भारतीय राष्ट्रीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सलीमा टेटे की यात्रा एक अद्भुत संघर्ष और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। सलीमा जो सिमडेगा की रहने वाली हैं हाल ही में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर मार्क लक्सन के...
नेशनल डेस्क। भारतीय राष्ट्रीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सलीमा टेटे की यात्रा एक अद्भुत संघर्ष और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। सलीमा जो सिमडेगा की रहने वाली हैं हाल ही में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर मार्क लक्सन के साथ दोपहर का लंच कर चुकी हैं। यह उनकी कड़ी मेहनत और खेल में उल्लेखनीय सफलता का परिणाम है।
सलीमा टेटे की यात्रा की शुरुआत आसान नहीं थी। हॉकी सिमडेगा के अध्यक्ष मनोज कोनबेगी ने बताया कि सलीमा को सिमडेगा में प्रशिक्षण के लिए चुना गया था और शुरुआत में उन्होंने उसे सिमडेगा केंद्र में प्रशिक्षण के लिए सिफारिश की थी। उनकी प्रसिद्धि ने 2021 के टोक्यो ओलंपिक में भी ध्यान आकर्षित किया जब भारतीय महिला हॉकी टीम पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची। हालांकि टीम कांस्य पदक से चूक गई लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने टीम के हर खिलाड़ी की सराहना की खासकर सलीमा के असाधारण प्रदर्शन को उजागर करते हुए कहा, "सलीमा का तो क्या कहना!"
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पूर्व मुख्य कोच शोर्ड मारिन द्वारा 'फेरारी' के नाम से मशहूर सलीमा की सफलता की राह सरल नहीं थी। दो साल तक उन्हें अपने जिले के आवासीय हॉकी प्रशिक्षण केंद्र में प्रवेश पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। इस दौरान वह अस्थायी आवास में रहती थीं और हर रविवार को अकेले अभ्यास करती थीं जबकि अपने पिता द्वारा लाए गए सामान से खुद अपना खाना बनाती थीं।
बता दें कि सलीमा का जन्म 2001 में सिमडेगा के बड़कीछापर गांव में किसान सुलक्षण और सुबानी टेटे के घर हुआ था। उनकी प्रतिभा पहली बार तुमडेगी के आर.सी. मिडिल स्कूल में दिखाई दी। कोनबेगी ने स्थानीय लताखामहान हॉकी टूर्नामेंट में सलीमा का प्रदर्शन देखा और उसे सिमडेगा के आवासीय केंद्र में ट्रायल के लिए सिफारिश की।
2013 में सलीमा को एसएस गर्ल्स स्कूल सिमडेगा में दाखिला मिला जहां कोच प्रतिमा बरवा ने उनकी खेल शैली को निखारा। सलीमा की नेतृत्व क्षमता ने 2018 के ब्यूनस आयर्स यूथ ओलंपिक में भारत को रजत पदक दिलवाया। हाल ही में उन्होंने 2023 में रांची में महिला एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम की कप्तानी की और अपने गृह राज्य में अंतरराष्ट्रीय हॉकी लाने में मदद की।
वहीं कहा जा सकता है कि सलीमा टेटे की यात्रा न केवल उनके खेल कौशल को बल्कि उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प को भी दर्शाती है। वह अब आदिवासी समुदाय के युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन चुकी हैं यह सिद्ध करते हुए कि यदि मन में दृढ़ संकल्प हो तो कोई भी सपना हासिल करना संभव है।