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Maha Kumbh 2025 : BOD बढ़ने से स्नान के लिए असुरक्षित है संगम का पानी, सरकार के आंकड़ों से हुआ खुलासा

Edited By Pardeep,Updated: 20 Feb, 2025 06:26 AM

sangam water is unsafe for bathing due to increased bod revealed by govt data

प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में गंगा नदी का पानी वर्तमान में स्नान के लिए असुरक्षित है, क्योंकि इसमें जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) निर्धारित सीमा से अधिक है। सरकारी आंकड़ों से यह बात सामने आई है। महाकुंभ के दौरान संगम में प्रतिदिन लाखों लोग डुबकी लगा...

नेशनल डेस्कः प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में गंगा नदी का पानी वर्तमान में स्नान के लिए असुरक्षित है, क्योंकि इसमें जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) निर्धारित सीमा से अधिक है। सरकारी आंकड़ों से यह बात सामने आई है। महाकुंभ के दौरान संगम में प्रतिदिन लाखों लोग डुबकी लगा रहे हैं। बीओडी, जल की गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए एक प्रमुख मापदंड है। बीओडी, जल में जैविक पदार्थों को तोड़ने के लिए सूक्ष्मजीवों के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा है। 

बीओडी का उच्च स्तर पानी में अधिक जैविक सामग्री को प्रदर्शित करता है। यदि बीओडी का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, तो नदी के पानी को स्नान के लिए उपयुक्त माना जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण को बताया था कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कई स्थानों पर नदी का पानी स्नान के लिए उपयुक्त नहीं है। हालांकि, इसने कहा था कि ताजा जल का प्रवाह होने के कारण, 13 जनवरी के बाद नदी के पानी की गुणवत्ता बीओडी के मामले में स्नान के लिए मानदंडों को पूरा करती है। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि संगम में नदी का पानी वर्तमान में बीओडी के लिए सुरक्षित सीमा को भी पार कर रहा है। 

सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि संगम में नदी का पानी वर्तमान में इस सीमा को पार कर रहा है। संगम में 16 जनवरी को सुबह 5 बजे बीओडी का स्तर 5.09 मिलीग्राम प्रति लीटर था। यह 18 जनवरी को शाम 5 बजे 4.6 मिलीग्राम प्रति लीटर और 19 जनवरी (बुधवार) को सुबह 8 बजे 5.29 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, 13 जनवरी को जब महाकुंभ शुरू हुआ था, उस वक्त संगम में बीओडी का स्तर 3.94 मिलीग्राम प्रति लीटर था। मकर संक्रांति (14 जनवरी) को यह बेहतर होकर 2.28 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया और 15 जनवरी को और घटकर एक मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया। 

हालांकि, 24 जनवरी को यह बढ़कर 4.08 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया और मौनी अमावस्या (29 जनवरी) को 3.26 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया। तीन फरवरी को राष्ट्रीय हरित अधिकरण को सौंपी गई रिपोर्ट में सीपीसीबी ने कहा कि प्रयागराज में अधिकांश स्थानों पर 12-13 जनवरी को निगरानी के दौरान नदी के पानी की गुणवत्ता ने स्नान के मानकों को पूरा नहीं किया। सीपीसीबी की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हालांकि, उसके बाद, ऊपरी स्थानों पर ताजा पानी के प्रवेश के कारण जैविक प्रदूषण (बीओडी के संदर्भ में) कम होने लगा। 

रिपोर्ट के अनुसार, 13 जनवरी 2025 के बाद, 19 जनवरी 2025 को गंगा नदी पर लॉर्ड कर्जन पुल के नीचे के स्थान को छोड़कर नदी के पानी की गुणवत्ता बीओडी के संबंध में स्नान के मानदंडों के अनुरूप है। उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों के अनुसार, गंगा में 10,000 से 11,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, ताकि यह स्नान के मानकों को पूरा करे। महाकुंभ 26 फरवरी को महा शिवरात्रि के दिन समाप्त हो जाएगा। अब तक 54 करोड़ से अधिक लोग त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा चुके हैं।

महाकुंभ नगर दुनिया का सबसे बड़ा अस्थायी शहर है, जहां हर समय 50 लाख से 1 करोड़ श्रद्धालु मौजूद रहते हैं। ये तीर्थयात्री प्रतिदिन कम से कम 1.6 करोड़ लीटर मल-जल तथा खाना पकाने, कपड़े धोने और स्नान करने जैसी गतिविधियों से 24 करोड़ लीटर ग्रेवॉटर (घरेलू कार्यों का अपशिष्ट जल) उत्पन्न करते हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने रविवार को संवाददाताओं को बताया कि 2019 के अर्धकुंभ के बाद से नदी के पानी की गुणवत्ता और स्वच्छता में सुधार करने में सरकार की सफलता के कारण श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। 

उन्होंने कहा, ‘‘2019 से पहले, कुंभ में शौचालय नहीं होते थे। अधिकारी लाल झंडा लगाकर एक क्षेत्र निर्धारित करते थे, तंबू उपलब्ध कराते थे और खुले में शौच किया जाता था। सिंह ने कहा, ‘‘2019 में पहली बार हमने 1.14 लाख शौचालय बनाए, जिनके नीचे प्लास्टिक के टैंक लगाए गए, ताकि अपशिष्ट जल-मल एकत्र किया जा सके।'' उन्होंने कहा कि हर दो-तीन दिन में मल-जल को बाहर निकाला जाता है और उसे दूर खुले ऑक्सीकरण तालाबों में ले जाया जाता है। उन्होंने कहा इस बार 1.5 लाख शौचालय और दो मल-जल शोधन संयंत्र बनाए हैं। सिंह ने कहा कि मल-जल शोधन के लिए 200 किलोमीटर लंबा अस्थायी जल निकासी नेटवर्क स्थापित किया गया है। 

साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपुल (एसएएनडीआरपी) के समन्वयक हिमांशु ठक्कर ने कहा कि राज्य सरकार यह दावा करने में बेहद गैरजिम्मेदार रही है कि नदी में स्नान करने वाले लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है, जबकि नदी का पानी इसके लिए अनुपयुक्त है। उन्होंने कहा, ‘‘स्नान के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना सरकार का नैतिक कर्तव्य है। जब पानी सुरक्षित नहीं होता है, तो संक्रमण का खतरा बना रहता है।'' 

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