Edited By Parveen Kumar,Updated: 20 Oct, 2024 03:34 PM
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने रविवार को आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग द्वारा महाराष्ट्र में नयी सरकार के गठन के लिए केवल 48 घंटे का समय निर्धारित किया जाना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की चाल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महा...
नेशनल डेस्क : शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने रविवार को आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग द्वारा महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के लिए केवल 48 घंटे का समय निर्धारित किया जाना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की चाल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार बनाने का दावा करने में असमर्थ हो जाए। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है। राज्य में 20 नवंबर को मतदान होना हैं और 23 नवंबर को मतगणना होगी।
राज्यसभा सदस्य ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया, ‘‘अमित शाह के साथ-साथ भाजपा ने यह स्वीकार कर लिया है कि पार्टी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाएगी। ऐसा लगता है कि महा विकास आघाडी को सरकार बनाने के बारे में चर्चा करने और निर्णय लेने के लिए समय समिति करने की रणनीति है। अगर एमवीए के घटक दावा करने में विफल रहते हैं, तो राज्यपाल छह माह के लिये राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करेंगे।'' उन्होंने दावा किया कि भाजपा एमवीए को सत्ता में वापस आने से रोकने के लिए यह कदम उठा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, भारत निर्वाचन आयोजन ने चुनाव कार्यक्रम इस तरह तय किए हैं कि यह एमवीए के प्रभावी रूप से सरकार बनाने के अवसर को सीमित कर देता है।'' शिवसेना (यूबीटी) नेता ने यह भी कहा कि मतगणना 23 नवंबर को होगी, जिसका मतलब है कि एमवीए के घटक दलों - शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) और अन्य छोटे दलों के पास सरकार बनाने के लिए केवल 48 घंटे होंगे। उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘निर्वाचन आयोग का यह कदम भाजपा प्रवक्ता के समान है।
आयोग ईवीएम का समर्थन करता है, लेकिन जब हम हरियाणा चुनावों में इन मशीनों के साथ कथित छेड़छाड़ के बारे में कहते हैं तो यह चुप्पी साध लेता है। आयोग ने लोकसभा चुनावों के दौरान धन के दुरुपयोग की शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं थी।'' राउत ने दावा किया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्य के चुनावों की घोषणा से ठीक पहले लगभग 200 विधानसभा क्षेत्रों में 15 करोड़ रुपये वितरित करने का फैसला किया और यह सरकार का धन था।