Edited By Tanuja,Updated: 14 Oct, 2024 05:20 PM
![satellite pics show new chinese settlement under construction near pangong](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2024_10image_17_19_057841815china1-ll.jpg)
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक प्रयास जारी हैं, लेकिन इसके बावजूद चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ...
बीजिंग: भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक प्रयास जारी हैं, लेकिन इसके बावजूद चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा। ताजा जानकारी के मुताबिक, चीन लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी तट के पास नई बस्तियों का निर्माण कर रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों से इस गतिविधि का खुलासा हुआ है, जिसमें बस्तियों को तेजी से आकार लेते हुए देखा जा सकता है। इन बस्तियों का इस्तेमाल नागरिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जिससे भारत के लिए गंभीर सुरक्षा चिंताएं खड़ी हो गई हैं। 9 अक्टूबर 2024 को अमेरिकी कंपनी मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा कैप्चर की गई सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार, चीन पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी तट पर लगभग 17 हेक्टेयर क्षेत्र में बस्तियों का निर्माण कर रहा है।
यह इलाका भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच 2020 के गतिरोध बिंदु से लगभग 38 किलोमीटर पूर्व में स्थित है, हालांकि यह भारत के क्षेत्रीय दावों से बाहर है। तस्वीरों में देखा गया है कि इस क्षेत्र में एक से दो मंजिला इमारतों का निर्माण किया जा रहा है, जिनका उपयोग भविष्य में सैन्य और नागरिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, हेलीकॉप्टर ऑपरेशनों के लिए एक 150 मीटर लंबी हेलीपैड जैसी संरचना भी देखी गई है, जो इस क्षेत्र की रणनीतिक महत्ता को और बढ़ाती है।चीन का यह कदम न सिर्फ सीमा पर तनाव को बढ़ाने वाला है, बल्कि इससे उसकी रणनीतिक क्षमता भी मजबूत होती दिख रही है। तक्षशिला संस्थान के जियो पॉलिटिकल रिसर्च प्रोग्राम के प्रमुख वाई निथ्यानंदम के अनुसार, "इस बस्ती में 100 से अधिक इमारतें बनाई जा रही हैं, जिनमें आवासीय संरचनाएं, बड़ी प्रशासनिक इमारतें और खुले स्थान शामिल हैं। ये बस्तियां चीनी सेना के एड-हॉक फॉरवर्ड बेस के रूप में भी काम कर सकती हैं, जिससे उनकी प्रतिक्रिया क्षमता में तेजी आ सकती है।"
सैटेलाइट इमेजरी के विश्लेषण से यह भी पता चला है कि झील की ओर ढलान वाले इलाके में यह निर्माण अप्रैल 2024 में शुरू हुआ था। इस क्षेत्र में ऊंची चोटियों के पीछे बस्ती का निर्माण किया जा रहा है, जिससे यह भूमि आधारित निगरानी उपकरणों से छिपा रहता है। निथ्यानंदम ने कहा, "यह बस्ती रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी स्थिति आसपास के क्षेत्रों से दृश्यता को सीमित करती है, जिससे किसी भी संभावित हमले के प्रति यह सुरक्षित रहती है।"चीन की इस नई बस्ती का निर्माण भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय है। पैंगोंग त्सो झील, जो दुनिया की सबसे ऊंची खारे पानी की झीलों में से एक है, भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवाद का स्थल रही है।
यह क्षेत्र दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव का केंद्र है और अब चीन द्वारा की जा रही यह गतिविधि क्षेत्रीय स्थिरता को और चुनौती दे सकती है। भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की यह चाल भारत की सुरक्षा तैयारियों को कमजोर कर सकती है और सीमा पर नए संघर्ष का कारण बन सकती है। भारत और चीन के बीच कूटनीतिक वार्ता जारी है, लेकिन चीन अपनी सैन्य गतिविधियों को भी तेज कर रहा है। पैंगोंग त्सो के पास यह नया निर्माण इस बात का स्पष्ट संकेत है कि चीन एक तरफ तो वार्ता की बात करता है, वहीं दूसरी ओर अपनी सामरिक स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।