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Ramlala की सेवा में 33 साल: कभी गोद में छिपाया, तो कभी आतंकी हमले ने भी नहीं डराया... सत्येंद्र दास की पूजा ने दी इतिहास को नई दिशा!

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 12 Feb, 2025 11:52 AM

satyendra das s worship gave a new direction to history

अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का आज लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई अस्पताल में निधन हो गया। वह लंबे समय से अस्वस्थ थे और उनका इलाज एसजीपीजीआई में चल रहा था। 2 फरवरी को उनकी तबियत बिगड़ी थी जिसके बाद उन्हें पहले अयोध्या के एक अस्पताल...

नेशनल डेस्क। अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का आज लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई अस्पताल में निधन हो गया। वह लंबे समय से अस्वस्थ थे और उनका इलाज एसजीपीजीआई में चल रहा था। 2 फरवरी को उनकी तबियत बिगड़ी थी जिसके बाद उन्हें पहले अयोध्या के एक अस्पताल में भर्ती किया गया और फिर बेहतर इलाज के लिए ट्रामा सेंटर और लखनऊ एसजीपीजीआई रेफर किया गया था। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक सत्येंद्र दास को मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी गंभीर बीमारियां भी थीं।

राम मंदिर के साथ 33 सालों तक जुड़े रहे सत्येंद्र दास

आचार्य सत्येंद्र दास ने राम मंदिर निर्माण के आरंभ से ही मुख्य पुजारी के रूप में सेवाएं दीं। वह पिछले 33 वर्षों से राम मंदिर के पुजारी रहे और श्री राम जन्मभूमि के पूजा कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल रहे। उन्होंने टाट से लेकर अस्थायी मंदिर और फिर भव्य राम मंदिर में रामलला की पूजा की। उनके रहते हुए 5 जुलाई 2005 को राम मंदिर पर आतंकवादी हमला भी हुआ था। सत्येंद्र दास को 1992 में रामलला की सेवा का अवसर मिला था।

 

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राम मंदिर के पुजारी बनने की कहानी

सत्येंद्र दास ने एक बार बताया था कि 1992 में रामलला के पुजारी लालदास थे और उस समय मंदिर की व्यवस्था का जिम्मा रिटायर जज जेपी सिंह के पास था। जब जेपी सिंह का निधन हुआ तो राम जन्मभूमि की व्यवस्था जिला प्रशासन के पास आ गई। इसके बाद पुजारी लालदास को हटाने की बात हुई जिसके बाद विनय कटियार जो उस वक्त बीजेपी के सांसद थे और VHP के नेता सत्येंद्र दास से संपर्क में थे। सभी ने उनके नाम पर सहमति दी और उन्हें राम मंदिर का मुख्य पुजारी नियुक्त किया।

 

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100 रुपये में करते थे पुजारी का कार्य

सत्येंद्र दास को शुरुआत में 100 रुपये की पारिश्रमिक के रूप में भुगतान किया जाता था। वह स्कूल में भी अध्यापन करते थे जहां से उन्हें तनख्वाह मिलती थी। राम मंदिर में पुजारी के तौर पर वह महज 100 रुपये महीने के पारिश्रमिक पर काम करते थे। 2007 में वह शिक्षक पद से रिटायर हुए थे।

बता दें कि सत्येंद्र दास के निधन से अयोध्या में शोक की लहर दौड़ गई है और मंदिर ट्रस्ट सहित भक्तों ने उनके योगदान को याद किया है।

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