SBI ने ग्राहकों को दिया बड़ा झटका, Car Loan से लेकर होम लोन तक लेना हुआ महंगा

Edited By Utsav Singh,Updated: 14 Nov, 2024 09:25 PM

sbi gave a big shock to the customers from car loan to home loan expensive

देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने लोन दरों को बढ़ाने का फैसला किया है। बैंक ने अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ़ फ़ंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में 0.05 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की है। इस बढ़ोतरी के बाद अब SBI का एक साल का MCLR 9 प्रतिशत...

नेशनल डेस्क : देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने लोन दरों को बढ़ाने का फैसला किया है। बैंक ने अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ़ फ़ंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में 0.05 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की है। इस बढ़ोतरी के बाद अब SBI का एक साल का MCLR 9 प्रतिशत हो गया है, जो कि शुक्रवार से लागू हो जाएगा।

MCLR दर में बढ़ोतरी की वजह
बैंक ने हाल ही में अपनी एमसीएलआर दर में दो बार बढ़ोतरी की थी, और अब एक बार फिर से इसमें वृद्धि की गई है। SBI के चेयरमैन सी एस शेट्टी ने कहा कि बैंक के 42 प्रतिशत ऋण खंड MCLR से जुड़े हुए हैं, जबकि बाकी के ऋण बाहरी बेंचमार्क पर आधारित होते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बैंकिंग प्रणाली में जमा दरें उच्च स्तर पर बनी हुई हैं, जिस कारण से यह बढ़ोतरी की गई है। इसके अलावा, SBI ने तीन महीने और छह महीने की MCLR में भी वृद्धि की है। हालांकि, एक दिन, एक महीने, दो साल और तीन साल की अवधि के लिए MCLR में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

MCLR क्या है?
मार्जिनल कॉस्ट ऑफ़ फ़ंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) वह न्यूनतम ब्याज दर है, जिस पर बैंक अपने ग्राहकों को लोन दे सकते हैं। इस दर का निर्धारण बैंक के द्वारा किया जाता है और यह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नीति और मौद्रिक स्थिति के आधार पर बदल सकता है। MCLR का असर विशेष रूप से पर्सनल लोन, कार लोन और होम लोन जैसे ऋणों की ब्याज दरों पर पड़ता है।

रेपो दर में कमी की उम्मीद नहीं
भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दर को हाल ही में 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का फैसला लिया था, और विशेषज्ञों का मानना है कि अगली बैठक में भी रेपो दर में कोई कमी नहीं की जाएगी। इससे यह साफ हो गया है कि बैंक को लोन की ब्याज दरों में राहत देने के लिए किसी भी समय जल्दी कटौती की संभावना नहीं है।

बढ़ती ब्याज दरों का असर
बैंक द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि का असर लाखों भारतीयों पर पड़ेगा। ऐसे में, EMI का बोझ और भी बढ़ जाएगा, खासकर उन लोगों पर जो पहले से ही बैंकों से लोन ले चुके हैं। अब उन्हें ईएमआई की राशि पहले से ज्यादा चुकानी पड़ेगी। इस बढ़ोतरी के बावजूद, लोग लंबी अवधि से ब्याज दरों में कमी की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन यह उम्मीद फिलहाल पूरी होती नहीं दिखाई दे रही है।

कुल मिलाकर:
इस बढ़ोतरी से जहां एक ओर बैंक को अपने संचालन के खर्च को कवर करने में मदद मिलेगी, वहीं दूसरी ओर लोन लेने वालों के लिए यह मुश्किलें बढ़ाने वाली खबर साबित हो सकती है। जब तक रेपो दर में कमी की संभावना नहीं है, तब तक MCLR में वृद्धि की यह प्रक्रिया जारी रहने की संभावना है।

 

 

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