Edited By Anu Malhotra,Updated: 08 Feb, 2025 05:17 PM
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) का मानना है कि अगर महंगाई की दर अनुकूल रहती है, तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अप्रैल तक ब्याज दरों में एक और कटौती कर सकता है। बीते एक साल में RBI ने महंगाई नियंत्रण और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए अपनी मौद्रिक नीति को...
नेशनल डेस्क: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) का मानना है कि अगर महंगाई की दर अनुकूल रहती है, तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अप्रैल तक ब्याज दरों में एक और कटौती कर सकता है। बीते एक साल में RBI ने महंगाई नियंत्रण और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए अपनी मौद्रिक नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया है।
खाद्य महंगाई में सुधार के संकेत
RBI ने यह स्वीकार किया है कि खाद्य महंगाई अभी भी एक चुनौती बनी हुई है, लेकिन सकारात्मक संकेत भी दिख रहे हैं। बेहतर फसल उत्पादन और सब्जियों की कीमतों में गिरावट से महंगाई पर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है। हालांकि, मौसम में उतार-चढ़ाव अब भी एक प्रमुख जोखिम बना हुआ है।
लचीले मौद्रिक नीति ढांचे पर जोर
इस बार RBI की नीति में सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह था कि उसने महंगाई लक्ष्य निर्धारण में लचीलेपन (Flexible Inflation Targeting - FIT) पर जोर दिया। यह नीति महंगाई नियंत्रण और आर्थिक स्थिति के आधार पर बदलाव की संभावनाओं को ध्यान में रखती है।
सरकारी बॉन्ड ट्रेडिंग होगी आसान
RBI ने सरकारी सुरक्षा पत्रों (Government Securities) के लिए नए समझौते लागू करने की घोषणा की है, जिससे उनकी सही कीमत का आकलन करना और खरीद-बिक्री को आसान बनाना संभव होगा। अब ये केवल नकद के जरिए ही नहीं, बल्कि भौतिक रूप में भी एक्सचेंज किए जा सकेंगे, जिससे बॉन्ड ट्रेडिंग को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा।
महंगाई और दरों पर अनुमान
- FY 2025: महंगाई का अनुमान 4.8%
- Q4 FY 2025: महंगाई 4.4% रहने की संभावना
- FY 2026: महंगाई घटकर 4.2% तक आ सकती है
इस स्थिति को देखते हुए, RBI ने तरलता कवरेज अनुपात (LCR), अपेक्षित ऋण हानि (ECL) और प्रावधान दिशानिर्देशों के क्रियान्वयन को फिलहाल स्थगित कर दिया है, ताकि इनके प्रभावों का बेहतर मूल्यांकन किया जा सके।
रेपो रेट में कटौती और आगे की नीति
मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने सर्वसम्मति से दो साल में पहली बार रेपो रेट को 0.25% घटाकर 6.25% कर दिया है। RBI ने यह भी संकेत दिया है कि वह एक तटस्थ मौद्रिक नीति बनाए रखेगा, जिससे महंगाई नियंत्रण में रहे और आर्थिक विकास को गति मिले।