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सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में रद्द कीं 25 से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्तियां, कहा- बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की गई

Edited By Parminder Kaur,Updated: 04 Apr, 2025 10:55 AM

sc canceled the appointments of more than 25 teachers in west bengal

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के स्कूलों में 25,753 टीचरों और दूसरे कर्मचारियों की नौकरी रद्द कर दी। कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के 22 अप्रैल 2024 के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि इन भर्तियों का तरीका ठीक नहीं था। उसमें भेदभाव हुआ...

नेशनल डेस्क. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के स्कूलों में 25,753 टीचरों और दूसरे कर्मचारियों की नौकरी रद्द कर दी। कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के 22 अप्रैल 2024 के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि इन भर्तियों का तरीका ठीक नहीं था। उसमें भेदभाव हुआ और गड़बड़ी की गई थी। सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस संगीता खन्ना की बेंच ने कहा कि ये पूरा मामला गलतियों से भरा था। इसमें बहुत बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और हेरफेर हुआ था। अब इसे ठीक करना मुमकिन नहीं है क्योंकि भर्ती का तरीका बहुत खराब हो चुका है।

चीफ जस्टिस ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द की गई हैं। उन्हें वेतन और अन्य भत्तों की वापसी नहीं करनी होगी। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह नई चयन प्रक्रिया शुरू करे और उसे तीन महीने के भीतर पूरा करे। दिव्यांग कर्मचारियों को मानवीय आधार पर राहत दी गई और उन्हें अपने पदों पर बने रहने की अनुमति दी गई है।

ममता बनर्जी का बयान

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह न्यायपालिका और जजों का सम्मान करती हैं, लेकिन मानवीय दृष्टिकोण से वह इस फैसले को स्वीकार नहीं कर सकतीं। उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का पालन करेगी, लेकिन सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करने के बाद ही इस पर कार्रवाई की जाएगी।

बीजेपी की प्रतिक्रिया

वहीं बीजेपी ने इस पूरे मामले के लिए ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया और उनके इस्तीफे की मांग की। बीजेपी के पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, "शिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार की जिम्मेदारी पूरी तरह से ममता बनर्जी की है। कोर्ट के फैसले ने यह साफ कर दिया है कि कैसे बेरोजगार युवाओं की योग्यता को पैसे के बदले बेचा गया।"

पुजारी पी. नाथ शर्मा ने बताया कि यहां चैत्र नवरात्र निर्धारित तिथि से 5 दिन पहले ही शुरू हो जाते हैं। खास बात यह है कि यहां मां दुर्गा की कोई मूर्ति नहीं है। इसलिए नवरात्र में गर्भगृह के प्रवेश द्वार से बाहर मां दुर्गा का आसन तैयार किया जाता है और कलश स्थापना की जाती है। इसी आसन पर पांच दिन पहले से पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है। नवरात्र के नौ दिनों तक मां की पूजा सुबह 4 बजे से शुरू होती है। मां का श्रृंगार आठ परीया परिवार के लोग करते हैं और फिर मंदिर के मुख्य पुजारी के परिवार का कोई सदस्य आरती करता है। इसके बाद बलि चढ़ाई जाती है और हर दिन पंचांग के अनुसार मंदिर के पट बंद किए जाते हैं।

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