Edited By Radhika,Updated: 31 Jan, 2025 06:43 PM
Supreme Court ने वीआईपी दर्शनों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर विचार करने से मना कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि इस मामले में मंदिर प्रशासन और सोसाइटी को फैसला लेना चाहिए। CJI जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने शुक्रवार को इस मामले पर...
नेशनल डेस्क: Supreme Court ने वीआईपी दर्शनों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर विचार करने से मना कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि इस मामले में मंदिर प्रशासन और सोसाइटी को फैसला लेना चाहिए। CJI जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई की।
इस याचिका में कहा गया था कि कुछ लोग मंदिरों में ज़्य़ादा पैसे देकर वीआईपी दर्शनो की सुविधा का फायदा उठाते है, जबकि कुछ लोग लाइनों में लगकर दर्शनों के लिए काफी तक इंतज़ार करते हैं। यह मानवता के नज़रिए से गलत है।
विजय कुमार गोस्वामी नाम के याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार के संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय के अलावा 11 राज्यों – तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड और असम को इस मामले में पक्ष बनाया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि कई बड़े मंदिरों में 400 से 5000 रुपए तक का भुगतान करने पर जल्दी प्रवेश दिया जाता है। उन्होंने यह भी चिंता जताई थी कि यह प्रथा धीरे-धीरे दूसरे प्रसिद्ध मंदिरों में भी शुरू हो सकती है।
दायर याचिका में इस बात की डिमांड की गई थी कि SC वीआईपी दर्शन व्यवस्था की संवैधानिक समीक्षा करे। इसके अलावा सभी मंदिरों में दर्शनों को लेकर एक स्टैंडर्ड व्यवस्था बनाई जाए। इस तरह के मामले और श्रध्दालुओं की शिकायतें सुनने के लिए एक ओवरसाइट कमेटी बनाई जाए।