Edited By Utsav Singh,Updated: 06 Nov, 2024 06:32 PM
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अजीत पवार गुट को आदेश दिया कि वे अपने चुनाव चिन्ह 'घड़ी' के साथ एक डिस्क्लेमर प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित करें। कोर्ट ने इसे 36 घंटे के अंदर मराठी सहित अन्य समाचार पत्रों में प्रकाशित करने का निर्देश दिया है।
महाराष्ट्र : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अजीत पवार गुट को आदेश दिया कि वे अपने चुनाव चिन्ह 'घड़ी' के साथ एक डिस्क्लेमर प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित करें। कोर्ट ने इसे 36 घंटे के अंदर मराठी सहित अन्य समाचार पत्रों में प्रकाशित करने का निर्देश दिया है। इस आदेश के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अजीत पवार गुट से अनुपालन रिपोर्ट का हलफनामा भी दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी।
अजीत पवार गुट की तरफ से कोर्ट को दी जानकारी
अजीत पवार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उन्होंने अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेते हुए एक अंडरटेकिंग (पुर्न-प्रतिज्ञा) दाखिल की है, जिसमें उन्होंने कोर्ट के पिछले आदेशों का पालन करने की बात कही है। इसके साथ ही उन्होंने इस अंडरटेकिंग के साथ चुनाव चिन्ह 'घड़ी' का उपयोग करने की स्वीकृति ली है। अजीत पवार के वकील ने यह भी बताया कि वे विज्ञापन देने के लिए समाचार पत्रों में एक नया अंडरटेकिंग प्रकाशित करने की प्रक्रिया में हैं, लेकिन कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि डिस्क्लेमर को प्रकाशित करने में इतना समय क्यों लग रहा है।
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शरद पवार गुट का आरोप
इस बीच, शरद पवार गुट ने आरोप लगाया है कि अजीत पवार गुट ने चुनाव चिन्ह 'घड़ी' का गलत तरीके से उपयोग करना जारी रखा है। शरद पवार के वकील ने कहा कि अजीत पवार गुट ने पहले तो कुछ वीडियो हटाए थे, लेकिन अब वे शरद पवार से संबंधित वीडियो दिखा रहे हैं, जिसमें घड़ी का निशान है। शरद पवार गुट का कहना है कि इस तरह के वीडियो और विज्ञापनों से भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। शरद पवार के वकील ने यह भी दावा किया कि अजीत पवार गुट के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने हाल ही में कहा था कि वे कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करेंगे और वे चुनाव चिह्न 'घड़ी' के निशान के तहत ही लडेंगे। यह स्पष्ट रूप से कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अजीत पवार गुट को आदेश दिया है कि वे 'घड़ी' चुनाव चिह्न का उपयोग करने के बावजूद, 36 घंटे के भीतर समाचार पत्रों में डिस्क्लेमर प्रकाशित करें। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि इस आदेश का पालन करना अनिवार्य है और यदि ऐसा नहीं होता तो कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
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अजीत पवार गुट को इस आदेश का पालन करते हुए एक हलफनामा दाखिल करना होगा, जिसमें यह स्पष्ट किया जाएगा कि उन्होंने तय समय सीमा में डिस्क्लेमर प्रकाशित किया है या नहीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि अजीत पवार गुट को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका चुनाव चिन्ह शरद पवार गुट से संबंधित न दिखे, क्योंकि इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
शरद पवार गुट की ओर से बार-बार उल्लंघन का आरोप
शरद पवार गुट के वकील, अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि अजीत पवार गुट लगातार कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहा है। उन्होंने यह कहा कि अजीत पवार गुट ने कई बार यह बयान दिया है कि 'शरद पवार हमारे भगवान हैं', और इस प्रकार से उनके द्वारा किए जा रहे उल्लंघन की गंभीरता को बढ़ावा दिया जा रहा है। अधिवक्ता सिंघवी ने यह भी कहा कि 'घड़ी' चुनाव चिह्न का उपयोग शरद पवार का नाम भ्रमित करने के लिए किया जा रहा है, जिससे इस राजनीतिक विवाद में और अधिक उलझाव पैदा हो सकता है।
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आगामी सुनवाई
इस मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी, जिसमें कोर्ट यह देखेगा कि अजीत पवार गुट ने अपने आदेश का पालन किया है या नहीं। इस बीच, अगर अदालत को लगता है कि आदेशों का उल्लंघन हो रहा है, तो कोर्ट कठोर कार्रवाई भी कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अजीत पवार गुट के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वे समय सीमा के भीतर अपने चुनाव चिन्ह 'घड़ी' के साथ डिस्क्लेमर प्रकाशित करें, ताकि भविष्य में किसी भी तरह के विवाद से बचा जा सके। साथ ही शरद पवार गुट की तरफ से जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वह भी इस मामले की गंभीरता को बढ़ाते हैं, और इस राजनीतिक संघर्ष को एक नई दिशा दे रहे हैं।