Edited By Seema Sharma,Updated: 21 Aug, 2022 02:25 PM
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के जामनगर में ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर (GZRRC) की ओर से स्थापित किए जा रहे चिड़यिाघर के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज कर दी है।
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के जामनगर में ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर (GZRRC) की ओर से स्थापित किए जा रहे चिड़यिाघर के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस दिनेश महेश्वरी और जस्टिस कृष्ण मुरारी ने शुक्रवार को इस जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि GZRRC एक कानूनी और मान्यता प्राप्त चिड़यिाघर और रेस्क्यू सेंटर है। उन्हें इसमें विवाद की कोई वजह नजर नहीं आती। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने बिना किसी ठोस वजह के केवल कुछ समाचार रिपोर्ट के आधार पर याचिका दाखिल कर दी। याचिकाकर्ता अपने पक्ष में कोई पुख्ता साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सके।
याचिका में रिलायंस के GZRRC पर भारत और विदेशों से जानवरों को लाने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी और इस गैर-लाभकारी संगठन के संचालन एवं प्रबंधन की जांच के लिए एक विशेष जांच समिति के गठन की भी मांग कोर्ट के सामने रखी गई थी, जिन्हें कोर्ट ने नकार दिया। सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए GZRRC ने ‘तेंदुआ बचाव केंद्र' और ‘मगरमच्छ बचाव केंद्र' सहित अपने कामकाज के विभिन्न पहलुओं का व्यापक विवरण दिया। न्यायालय ने केन्द्र में जानवरों की मदद के लिए उपलब्ध चिकित्सक, क्यूरेटर, जीवविज्ञानी, प्राणि विज्ञानी और अन्य विशेषज्ञों की उपलब्धता और उसके बुनियादी ढांचे का संज्ञान लिया।
इसके बाद न्यायालय ने पाया कि संगठन को जानवरों के संचालन और हस्तांतरण के लिए दी गई अनुमति और उसकी सभी गतिविधियां कानूनी और अधिकृत हैं। कोर्ट ने कहा कि उसे GZRRC के खिलाफ लगाए गए आरोपों के संबंध में ‘कोई तकर् या आधार' नहीं मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि GZRRC के कामकाज पर विवाद की कोई गुंजाइश नहीं है। इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने भी कहा था कि वह रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा समर्थित GZRRC में उपलब्ध सुविधाओं से संतुष्ट है।