Edited By Seema Sharma,Updated: 02 Sep, 2020 09:35 AM
सुप्रीम कोर्ट ने उज्जैन में स्थित प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर पर मंगलवार को अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रशासन को आठ सुझावों पर अमल करने को हरी झंडी दी। साथ ही कोर्ट ने महाकालेश्वर के शिवलिंग में हो रहे क्षरण (Corrosion) को रोकने के लिए...
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने उज्जैन में स्थित प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर पर मंगलवार को अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रशासन को आठ सुझावों पर अमल करने को हरी झंडी दी। साथ ही कोर्ट ने महाकालेश्वर के शिवलिंग में हो रहे क्षरण (Corrosion) को रोकने के लिए मंलवार को कई निर्देश जिसमें श्रद्धालुओं द्वारा लिंग पर घी, बूरा आदि सामग्री नहीं मलने का निर्देश भी शामिल है। कोर्ट की पीठ ने कहा कि श्रद्धालुओं द्वारा शिवलिंगम पर दही, घी और शहद मलने से भी क्षरण होता है और बेहतर होगा कि मंदिर समिति श्रद्धालुओं को सीमित मात्रा में शुद्ध दूध ही अर्पित करने की अनुमति दें।
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रशासन को दिए आठ सुझावों के अनुसार, शिवलिंग पर श्रद्धालु 500 मिलीलीटर से ज्यादा जल नहीं चढ़ाएंगे। जल सिर्फ आरओ का होगा। भस्म आरती के दौरान शिवलिंग को सूखे सूती कपड़े से पूरा ढका जाएगा। अभी तक 15 दिनों के लिए शिवलिंग को आधा ढका जाता था। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर समिति को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ‘भस्म आरती' के दौरान प्रयुक्त होने वाली भस्म की पीएच गुणवत्ता में सुधार किया जाए और शिवलिंग को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जाए। जस्टिस अरूण मिश्रा, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने इस प्राचीन मंदिर में स्थित शिवलिंग के संरक्षण के लिए अनेक निर्देश दिए और मंदिर समिति को बेहतर तरीके से इस पर अमल करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी आगंतुक या श्रद्धालु किसी भी कीमत पर शिवलिंग को मले नहीं।
पीठ ने कहा कि यदि कोई श्रद्धालु ऐसा करता है तो उसे ऐसा करने से नहीं रोकने के लिए वहां मौजूद पुजारी या पुरोहित जिम्मेदार होंगे। मंदिर की ओर से होने वाली पारंपरिक पूजा और अर्चना के दौरान शिवलिंग को मलने के अलावा कोई भी ऐसा नहीं करेगा। पीठ ने इस मंदिर से संबंधित मामले में सुनाए गए अपने फैसले में विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट का भी हवाला दिया। इस समिति में पुरातत्व विभाग और भू-वैज्ञानिको के अलावा मंदिर समिति के सदस्य भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि इस शिवलिंगम को संरक्षित करने के लिए हम निर्देश देते हैं कि कोई भी इसे मलेगा नही।
पीठ ने इस तथ्य का भी जिक्र किया कि पिछले साल 19 जनवरी को विशेषज्ञों का दल मंदिर गया था और उसने अपनी रिपोर्ट में शिवलिंग में क्षरण होने का उल्लेख किया है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि विशेषज्ञ समिति मंदिर का दौरा करेगी और 15 दिसंबर, 2020 तक अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। न्यायालय ने कहा कि यह समिति साल में एक बार मंदिर का दौरा करेगी और अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।