SC पूजा स्थलों की सुरक्षा से जुड़ी याचिका पर करेगा सुनवाई, तारीख हुई तय

Edited By Utsav Singh,Updated: 27 Nov, 2024 05:03 PM

sc will hear the petition related to the safety of places of worship date fixed

देश में विभिन्न धार्मिक स्थलों, खासकर मंदिरों और मस्जिदों को लेकर विवाद बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित जामा मस्जिद का सर्वेक्षण कोर्ट के आदेश पर हुआ था, जिसके बाद हिंसा की घटनाएं सामने आईं। अब इस मुद्दे पर सुप्रीम...

नेशनल डेस्क : देश में विभिन्न धार्मिक स्थलों, खासकर मंदिरों और मस्जिदों को लेकर विवाद बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित जामा मस्जिद का सर्वेक्षण कोर्ट के आदेश पर हुआ था, जिसके बाद हिंसा की घटनाएं सामने आईं। अब इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के पूजा स्थल कानून और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा से संबंधित याचिका पर सुनवाई करने का संकेत दिया है। आइए जानते हैं इस मामले के बारे में और कब होगी इसपर सुनवाई।

सुप्रीम कोर्ट में कब होगी सुनवाई?
सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थलों की सुरक्षा और 1991 के पूजा स्थल कानून से संबंधित याचिका पर 4 दिसंबर 2024 को सुनवाई होगी। इस सुनवाई में भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ शामिल होगी।

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सुनवाई करने वाले न्यायधीश
इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पी नरसिम्हा, और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच शामिल होगी। यह केस जमीअत उलमा-ए-हिंद और गुलजार अहमद नूर मोहम्मद आजमी की तरफ से दायर किया गया है, और इनके वकील एजाज मकबूल कोर्ट में उनका पक्ष रखेंगे।

क्या है 1991 का पूजा स्थल कानून?

  • 1991 का पूजा स्थल कानून भारत में धार्मिक स्थलों के स्वरूप को लेकर एक महत्वपूर्ण कानून है। इसके तहत, यह प्रावधान किया गया कि 15 अगस्त 1947 को जिस रूप में धार्मिक स्थल था, उसे उसी रूप में बनाए रखा जाएगा। इसका मतलब है कि स्वतंत्रता संग्राम के समय के बाद से किसी भी धार्मिक स्थल का रूप बदलने पर रोक लगा दी गई है।
  • इस कानून का उद्देश्य धार्मिक स्थलों के स्वामित्व और रूप में बदलाव से होने वाले विवादों को रोकना है। खासतौर पर इसने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर एक अपवाद रखा था, जिससे विवादित बाबरी मस्जिद को लेकर कोई बदलाव नहीं किया जा सका था।

  • धारा 3 के तहत, यह कानून किसी व्यक्ति या समूह को किसी धार्मिक स्थल को दूसरे धर्म के स्थल में बदलने से रोकता है।

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क्या बदलाव होगा इस कानून में?
इस कानून का उद्देश्य धार्मिक स्थलों के स्वरूप को स्थिर रखना था ताकि किसी भी धार्मिक स्थल में बदलाव या तोड़फोड़ से विवादों की स्थिति पैदा न हो। लेकिन, कई बार इस कानून की व्याख्या को लेकर विवाद उठते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस कानून पर सुनवाई होने से भविष्य में इस कानून के प्रभाव और इसकी व्याख्या पर कुछ नया रुख सामने आ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
अब जब सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई करेगा, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट पूजा स्थल कानून की परिभाषा और उसके दायरे को कैसे निर्धारित करता है। इसके अलावा, कोर्ट यह भी तय करेगा कि धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कौन से कदम उठाए जाएं।

यह मामला धार्मिक स्थलों से जुड़ी संवेदनशीलता को लेकर है, और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई इस दिशा में महत्वपूर्ण हो सकती है। यदि इस कानून में कोई बदलाव किया जाता है, तो वह देशभर में धार्मिक स्थलों के विवादों को प्रभावित कर सकता है। 4 दिसंबर को होने वाली सुनवाई देश भर के लोगों और धार्मिक संगठनों के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकती है।

 

 

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