Edited By Rahul Rana,Updated: 05 Dec, 2024 12:31 PM
राजस्थान के अजमेर जिले के नसीराबाद में स्थित सरकारी अस्पताल में 70 लाख रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है। इस घोटाले में चीफ मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) के कार्यालय में कार्यरत एक क्लर्क ने सैलरी से जुड़े कागजात में फर्जीवाड़ा कर सरकारी धन को नुकसान...
नॅशनल डेस्क। राजस्थान के अजमेर जिले के नसीराबाद में स्थित सरकारी अस्पताल में 70 लाख रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है। इस घोटाले में चीफ मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) के कार्यालय में कार्यरत एक क्लर्क ने सैलरी से जुड़े कागजात में फर्जीवाड़ा कर सरकारी धन को नुकसान पहुंचाया।
घोटाले का पर्दाफाश कैसे हुआ?
यह घोटाला तब उजागर हुआ जब चिकित्सा विभाग की ऑडिट टीम ने अस्पताल के दस्तावेजों की गहन जांच की। नवंबर में की गई इस जांच में यह पाया गया कि बाबू राज तिलक गर्ग ने अपनी असली सैलरी में फेरबदल किया। उसकी असल तनख्वाह 40,000 रुपये थी लेकिन उसने इसे बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये से लेकर 4 लाख रुपये तक कर लिया था।
70 लाख रुपये की हेराफेरी
ऑडिट टीम ने गहन जांच के बाद यह पाया कि बाबू ने कुल 70 लाख रुपये का गबन किया। उसकी सैलरी दस्तावेजों में किए गए फर्जीवाड़े के कारण अस्पताल के सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। जब यह मामला सामने आया तो रिपोर्ट चिकित्सा निदेशक, उपनिदेशक और वित्त सलाहकार को सौंपी गई। इसके बाद आरोपों के प्रमाणित होने पर 4 दिसंबर को स्वास्थ्य विभाग ने राज तिलक गर्ग को एपीओ (Awaiting Posting Order) कर दिया यानी उसे अन्य जगह स्थानांतरित कर दिया गया।
कार्रवाई और रिकवरी
घोटाले का खुलासा होते ही राज तिलक गर्ग ने अपनी सजा का डर महसूस किया और उसने जल्दी से 70 लाख रुपये की पूरी रकम अस्पताल के खाते में वापस जमा करवा दी। बावजूद इसके विभागीय कार्रवाई के तहत उसे अजमेर मुख्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया है। अब स्वास्थ्य विभाग इस मामले की और गहराई से जांच कर रहा है ताकि भविष्य में ऐसी घटना न हो।
अंत में बता दें कि नसीराबाद अस्पताल का यह घोटाला सरकारी धन की बर्बादी और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। हालांकि सख्त कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ ऐसे मामलों में विभाग कोई कसर नहीं छोड़ेगा। अब देखना यह है कि इस मामले की जांच आगे किस दिशा में जाती है और क्या अन्य जिम्मेदारों पर भी कार्रवाई की जाएगी।