Edited By Harman Kaur,Updated: 10 Feb, 2025 12:56 PM
![school children are serving for nature bringing bread in tiffin for cows](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_12_55_35018373301542-ll.jpg)
डबवाली के गुरु जंभेश्वर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे न केवल अपनी शिक्षा में आगे बढ़ रहे हैं, बल्कि वे पर्यावरण और पशुओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी समझ रहे हैं। यहां के बच्चे रोज अपने टिफिन में एक रोटी गाय और एक चिड़ीया के लिए लेकर आते हैं। इस रोटी को...
नेशनल डेस्क: डबवाली के गुरु जंभेश्वर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे न केवल अपनी शिक्षा में आगे बढ़ रहे हैं, बल्कि वे पर्यावरण और पशुओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी समझ रहे हैं। यहां के बच्चे रोज अपने टिफिन में एक रोटी गाय और एक चिड़ीया के लिए लेकर आते हैं। इस रोटी को सुबह की प्रार्थना के बाद चिड़ियों को डाला जाता है और फिर बची हुई रोटियां गोशाला में भेज दी जाती हैं। यह पहल पिछले एक साल से चल रही है और यह श्रीगुरु जंभेश्वर शिक्षा समिति द्वारा संचालित इस स्कूल का हिस्सा है। बच्चों के साथ शिक्षक भी गाय और चिड़ियों के लिए रोटी लाते हैं। बच्चों की इस आदत से वे प्राकृतिक संसाधनों और जीवों के प्रति अधिक संवेदनशील और जागरूक हो रहे हैं। वे प्रकृति के साथ करीबी महसूस कर रहे हैं और भावनात्मक रूप से भी मजबूत हो रहे हैं।
संत परमात्मा नंद महाराज की पहल
स्कूल समिति से जुड़े संत परमात्मा नंद महाराज ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य बच्चों को पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों का महत्व समझाना है। उन्होंने कहा कि इस मुहिम से बच्चों को अपने आसपास की चीजों के प्रति सजगता आ रही है और वे सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारियों को समझ रहे हैं।
सफाई अभियान में बच्चों की भागीदारी
इसके साथ ही, स्कूल का स्टाफ और बच्चे हर महीने एक बार मोहल्ले की सफाई करते हैं। वे गली-मोहल्लों की सफाई करने के साथ-साथ सार्वजनिक स्थलों जैसे जोहड़ और तालाबों से प्लास्टिक और कूड़ा-कचरा भी उठाते हैं। यह पहल बच्चों में जिम्मेदारी और सामुदायिक भावना को बढ़ावा दे रही है।
अभिभावकों की प्रतिक्रियाएं
बच्चों के अभिभावकों ने भी इस पहल की सराहना की है। सरस्वती, कृष्णा, सुनीता, राजकौर, रेखा और ममता का कहना है कि बच्चों का उत्साह देखकर उन्हें अच्छा लगता है। उन्होंने कहा कि बच्चों के सोचने-समझने का तरीका बदला है और अब वे पहले से कहीं ज्यादा खुश रहते हैं। यह पहल न केवल बच्चों में सामाजिक और पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ा रही है, बल्कि उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को समझने और उन्हें निभाने के लिए प्रेरित कर रही है।