Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 16 Mar, 2025 08:43 PM

टेक्नोलॉजी और विज्ञान की दुनिया में भारतीय मूल के आविष्कारक गुरतेज संधू का नाम एक नई ऊंचाई पर पहुंच चुका है।
नेशनल डेस्क: टेक्नोलॉजी और विज्ञान की दुनिया में भारतीय मूल के आविष्कारक गुरतेज संधू का नाम एक नई ऊंचाई पर पहुंच चुका है। गुरतेज संधू ने अमेरिकी आविष्कारक थॉमस एडिसन के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए अब तक के सबसे ज्यादा पेटेंट प्राप्त करने वाले आविष्कारकों की सूची में सातवें स्थान पर अपनी जगह बनाई है। गुरतेज के नाम पर 1,325 अमेरिकी पेटेंट हैं, जबकि थॉमस एडिसन के नाम पर 1,093 पेटेंट थे। इस उल्लेखनीय उपलब्धि ने उन्हें दुनियाभर में एक नए वैज्ञानिक प्रतीक के रूप में स्थापित किया है।
गुरतेज संधू का वैज्ञानिक सफर
गुरतेज संधू का जन्म लंदन में हुआ था, लेकिन उनके माता-पिता भारतीय थे। उन्होंने अपनी शिक्षा भारत में की थी और आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। इसके बाद, उन्होंने अपनी पढ़ाई को विदेश में आगे बढ़ाया और यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना से भौतिकी में पीएचडी की। उनके शोध और कार्य का मुख्य क्षेत्र इंटीग्रेटेड सर्किट था, जिसमें उनकी गहरी रुचि थी।
संधू का पेटेंट साम्राज्य कितना?
गुरतेज संधू का वैज्ञानिक करियर उनके पेटेंट्स की सूची से देखा जा सकता है। वे माइक्रोन टेक्नोलॉजी के वाइस प्रेसिडेंट भी हैं, और उनका नाम कंपनी के सबसे बड़े आविष्कारकों में गिना जाता है। जब संधू ने माइक्रोन टेक्नोलॉजी में शामिल होने का निर्णय लिया, तो कंपनी केवल 18वें स्थान पर थी, जब बात कंप्यूटर मेमोरी बनाने वाली कंपनियों की होती थी। लेकिन संधू के नेतृत्व में माइक्रोन ने नए आयामों को छुआ और आज वह दुनिया की प्रमुख तकनीकी कंपनियों में शामिल है। माइक्रोन के पास अब लगभग 40,000 पेटेंट्स हैं, जिनमें से 1,325 पेटेंट्स अकेले गुरतेज संधू के नाम हैं।
संधू की टेक्नोलॉजी में महारत
गुरतेज संधू ने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अपना विशेष स्थान बनाया है। उनके इंटीग्रेटेड सर्किट पर किए गए शोध और पेटेंट्स ने उन्हें विज्ञान और तकनीकी जगत में एक दिग्गज बना दिया है। संधू के योगदान को देखते हुए उन्हें 2018 में एंड्रयू एस ग्रोव अवार्ड से सम्मानित किया गया था, जो इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर्स के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है। संधू का काम और उनके पेटेंट्स यह दर्शाते हैं कि किस प्रकार एक भारतीय वैज्ञानिक ने वैश्विक स्तर पर तकनीकी क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई और आविष्कारक के रूप में एक नई मिसाल पेश की।
आविष्कारक बनने के बाद की चुनौतियां और सफलता
गुरतेज संधू का सफर आसान नहीं था। बहुत से बड़े अमेरिकी कॉर्पोरेट्स ने उन्हें काम करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन संधू ने माइक्रोन टेक्नोलॉजी को चुना। उस वक्त माइक्रोन कंप्यूटर मेमोरी बनाने वाली कंपनियों में 18वें नंबर पर थी। आज, माइक्रोन अपने क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों में शामिल है, और इसका बड़ा श्रेय गुरतेज संधू के योगदान को जाता है।