Edited By Radhika,Updated: 10 Feb, 2025 05:39 PM
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कोविड महामारी के समय दुनिया एकदम से ठप्प हो गई थी। इस महामारी के कारण फैली तबाही को काफी लंबे समय तक याद रखा जाएगा। कोरोना महामारी फिर से चर्चा में है, क्योंकि एक नई स्टडी में यह कहा गया है कि कोविड-19 ने सिर्फ पृथ्वी को नहीं, बल्कि चांद को भी...
नेशनल डेस्क: कोविड महामारी के समय दुनिया एकदम से ठप्प हो गई थी। इस महामारी के कारण फैली तबाही को काफी लंबे समय तक याद रखा जाएगा। कोरोना महामारी फिर से चर्चा में है, क्योंकि एक नई स्टडी में यह कहा गया है कि कोविड-19 ने सिर्फ पृथ्वी को नहीं, बल्कि चांद को भी प्रभावित किया है।
स्टडी में दावा-
स्टडी में कहा गया है कि 2020 में जब पूरी दुनिया में लॉकडाउन लगा था, तब चांद का तापमान गिर गया था। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई थी। इसके बाद वैज्ञानिकों ने यह समझने के लिए फिर से अध्ययन करने का फैसला किया कि लॉकडाउन के कारण जब इंसानों की गतिविधियां रुक गईं, तो अप्रैल और मई 2020 में चांद इतना ठंडा क्यों हो गया।
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मिसौरी यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टइंडीज के वैज्ञानिकों ने पाया कि लॉकडाउन के दौरान चांद की सतह का तापमान सच में कम हुआ था। हालांकि, 2018 में भी चांद पर तापमान में गिरावट देखी गई थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि चांद के तापमान में बदलाव 2019 से ही शुरू हो गया था और यह कोरोना महामारी की वजह से नहीं हुआ।
पिछले साल की एक स्टडी में वैज्ञानिकों ने नासा के डिवाइनर लूनर रेडियोमीटर एक्सपेरिमेंट के डेटा का इस्तेमाल करके 2017 से 2023 तक चांद के तापमान का विश्लेषण किया था। इस दौरान पाया गया कि 2020 के लॉकडाउन में चांद का तापमान घटा था। रिपोर्ट के अनुसार, मिसौरी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. विलियम शॉनबर्ग ने कहा कि इंसानी गतिविधियों में कमी के कारण चांद का ठंडा होना सही नहीं होगा। उनका कहना था कि धरती से निकलने वाली गर्मी और रेडिएशन चांद के तापमान को थोड़ा बहुत प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन यह असर बहुत कम होता है, जिसे मापना मुश्किल है।