वैज्ञानिकों का खुलासा: किडनी की भी होती है याददाश्त, लेकिन दिमाग का मुकाबला नहीं कर सकती

Edited By Mahima,Updated: 28 Nov, 2024 09:55 AM

scientists reveal kidneys also have memory

हालिया अध्ययन में यह पता चला है कि किडनी की कोशिकाएं भी दिमाग की तरह जानकारी स्टोर और प्रोसेस कर सकती हैं। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि किडनी कोशिकाएं "मास्ड-स्पेस इफैक्ट" का उपयोग करती हैं, जो दिमाग की याददाश्त की प्रक्रिया से...

नेशनल डेस्क:  अभी तक हमें यह जानते आए हैं कि यादें दिमाग से जुड़ी होती हैं, लेकिन आपको जानकर हैरत होगी कि किडनी के सैल्स भी आपकी यादों को सहेज सकते हैं। हाल की एक स्टडी से पता चला है कि किडनी में मौजूद कोशिकाएं भी कुछ हद तक पैटर्न पहचान सकती हैं और जानकारी याद रख सकती हैं। यह अध्ययन इसी महीने नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट निकोलाई कुकुश्किन के हवाले से इस अध्ध्यन में कहा गया है कि हम यह नहीं कह रहे कि किडनी सेल्स आपको ट्रिग्नोमेट्री सिखा सकती हैं या आपके बचपन की यादें स्टोर कर सकते हैं। यह रिसर्च सिर्फ याददाश्त की समझ को बढ़ाने का काम करती है, यह दिमाग में मैमरी की परिभाषा को चुनौती नहीं देती है। अध्ययन में पता चला कि किडनी की कोशिकाएं "मास्ड-स्पेस इफैक्ट" का इस्तेमाल करती हैं। यह वह प्रक्रिया है जिसमें एक साथ पूरी जानकारी लेने के बजाय इसे छोटे-छोटे हिस्सों में स्टोर करना ज्यादा प्रभावी होता है। यह मैमरी का एक जाना-पहचाना पैटर्न है जो दिमाग में होता है।

कैसे किया गया अध्ययन
दिमाग के बाहर भी कोशिकाओं को जानकारी संभालनी पड़ती है। इसका एक तरीका है सी.आर.ई.बी. नाम का प्रोटीन, जो मेमरी प्रोसेसिंग में अहम भूमिका निभाता है। यह प्रोटीन सिर्फ न्यूरॉन्स में ही नहीं, बल्कि दूसरी कोशिकाओं में भी पाया जाता है। इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने मानव भ्रूण की किडनी कोशिकाओं में एक आर्टिफिशियल जीन डाला। यह जीन असल में उन डी.एन.ए. हिस्सों जैसा है जिसे सी.आर.ई.बी. एक्टिव करता है। इस जीन में फायरफ्लाई प्रोटीन की चमकने की क्षमता भी जोड़ी गई है। इसके बाद किडनी कोशिकाओं पर रासायनिक पल्स डाले गए, जो न्यूरॉन्स की मेमोरी मशीनरी को सक्रिय करने जैसा था। शोध के मुताबिक जितनी ज्यादा रोशनी पैदा होती है, उतना ही ज्यादा मेमोरी जीन सक्रिय होता है।

बीमारियों के इलाज में हो सकती है मदद
वैज्ञानिकों को कहना है कि भविष्य में यह रिसर्च उन बीमारियों के इलाज में मदद कर सकती है, जहां याददाश्त खोने की समस्या होती है। शोध के मुताबिक शरीर जानकारी स्टोर कर सकता है, और यह किसी की सेहत के लिए अहम हो सकता है। मसलन कैंसर कोशिकाओं को मेमोरी रखने वाली कोशिकाओं के रूप में देख सकते हैं। यह भी सोच सकते हैं कि वे कीमोथेरेपी के पैटर्न से क्या सीख सकते हैं। यह रिसर्च सिर्फ दिमाग तक सीमित याददाश्त की सोच को विस्तार देती है और नए चिकित्सा समाधान की संभावनाएं खोलती है।

 

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