भारत शिक्षा को दुनिया के साथ अधिक सहयोग बढ़ाने के प्रमुख माध्यम के रूप में देखता है: जयशंकर

Edited By Parveen Kumar,Updated: 30 Aug, 2024 04:05 AM

sees it as a key means to foster greater cooperation with the world

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत आज शिक्षा को देश और दुनिया के बीच अधिक सहयोग बढ़ाने के एक ‘‘प्रमुख माध्यम'' के रूप में देखता है। उन्होंने साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय को आशय पत्र सौंपने के लिए यहां आयोजित एक कार्यक्रम में अपने...

नेशनल डेस्क : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत आज शिक्षा को देश और दुनिया के बीच अधिक सहयोग बढ़ाने के एक ‘‘प्रमुख माध्यम'' के रूप में देखता है। उन्होंने साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय को आशय पत्र सौंपने के लिए यहां आयोजित एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में यह बात कही। विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत भारत में एक परिसर स्थापित करेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘आज हम भारत में अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि देख रहे हैं।''

यहां सुषमा स्वराज भवन में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि विश्व के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में से एक साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय भारत में अपना पहला परिसर स्थापित करेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘आज का कार्यक्रम भारत और ब्रिटेन के बीच मजबूत और बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों का भी प्रमाण है, जिसमें शिक्षा विशेष रूप से एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इस प्रगति के केंद्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 है।'' मंत्री ने कहा कि यह महज एक नीति नहीं है, बल्कि यह वास्तव में भारत में शिक्षा के भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण है, जो ‘‘हमारे मानकों को उच्चतम वैश्विक स्तर तक बढ़ाने की आकांक्षा रखता है।''

जयशंकर ने कहा, ‘‘इसका उद्देश्य भारत को उत्कृष्टता का केंद्र बनाना, दुनिया भर से छात्रों को आकर्षित करना, विदेशी विश्वविद्यालय परिसरों की स्थापना करना और हमारे छात्रों और संकायों के बीच वैश्विक दक्षताओं को बढ़ावा देना है।'' मंत्री ने कहा, ‘‘आज हम शिक्षा को भारत और विश्व के बीच अधिक गहन सहयोग को बढ़ाने के लिए एक प्रमुख साधन के रूप में देखते हैं।''

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