भारत में semiconductor sector से 2026 तक 10 लाख नई नौकरियां होंगी उत्पन्न: रिपोर्ट

Edited By Mahima,Updated: 12 Nov, 2024 02:13 PM

semiconductor sector in india will generate 10 lakh new jobs by 2026

भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग 2026 तक 10 लाख नौकरियां उत्पन्न करने की दिशा में है। रिपोर्ट के अनुसार, चिप निर्माण, असेंबली, टेस्टिंग, डिजाइनिंग और सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में लाखों पदों की संभावना है। हालांकि, उद्योग में कुशल कार्यबल की कमी...

नेशनल डेस्क: भारत semiconductor विनिर्माण के प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है और इस sector में तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है। हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में semiconductor industry  2026 तक 10 लाख (1 मिलियन) नौकरियों के अवसर उत्पन्न करेगा। यह नौकरियां विभिन्न श्रेणियों में होंगी, जिनमें चिप निर्माण, असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग, पैकेजिंग, डिजाइनिंग और सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट जैसी भूमिकाएं शामिल हैं।

semiconductor sector में नौकरी के अवसरों की वृद्धि
NLB Services द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, semiconductor विनिर्माण, असेंबली, परीक्षण, और चिप डिजाइनिंग के विभिन्न sectors  में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की संभावना है। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि चिप निर्माण sector में करीब 3 लाख नौकरियां उत्पन्न होने की उम्मीद है, जबकि एटीएमपी (असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग) सेक्टर में 2 लाख पदों की संभावना है। इसके अलावा, चिप डिजाइनिंग, सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट, सिस्टम सर्किट और विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में भी अतिरिक्त रोजगार के अवसर मिलेंगे। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि semiconductor sector में कर्मचारियों की मांग में विशेष रूप से इंजीनियरों, ऑपरेटरों, तकनीशियनों और गुणवत्ता नियंत्रण, खरीद और सामग्री इंजीनियरिंग के विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी। भारत सरकार के समर्थन और कई निजी कंपनियों के निवेश के चलते यह sector तेज़ी से विकसित हो रहा है, जिससे भविष्य में लाखों नई नौकरियां उत्पन्न होंगी।

भारत के semiconductor sector की क्रांति
भारत में semiconductor sector में हो रही इस बड़ी क्रांति के बारे में कहा जा रहा है कि इससे उच्च तकनीकी और निर्माण sectors में ढेर सारे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। semiconductor industry में कई महत्वपूर्ण पदों के लिए मांग होगी, जैसे कि प्रोसेस इंटीग्रेशन इंजीनियर, semiconductor वेफर इंस्पेक्टर, डिज़ाइन इंजीनियर, प्रोसेस इंजीनियर, गुणवत्ता नियंत्रण विशेषज्ञ, और निवारक रखरखाव (पीएम) तकनीशियन। रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि हालांकि semiconductor industry में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, लेकिन उद्योग को बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त कुशल कार्यबल की आवश्यकता होगी। मौजूदा समय में भारत में semiconductor sector में प्रतिभा की कमी महसूस की जा रही है, जिससे उद्योग के विकास में कुछ अड़चनें आ सकती हैं। 

कौशल प्रशिक्षण और कार्यबल विकास की आवश्यकता
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस चुनौती से निपटने के लिए भारत को एक मजबूत semiconductor प्रतिभा पाइपलाइन विकसित करने की आवश्यकता है। इसके लिए कार्यबल विकास कार्यक्रमों और कौशल प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। NLB Services के CEO सचिन अलुग ने कहा, "भारत को semiconductor हब बनाने के लिए, हमें हर साल 5 लाख नई प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करना होगा।" उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इंटर्नशिप प्रोग्राम्स के माध्यम से छात्रों को वास्तविक दुनिया का अनुभव देना बेहद महत्वपूर्ण होगा। इससे छात्रों के कौशल में वृद्धि होगी और भारत के semiconductor industry में काम करने वाले कुशल पेशेवरों की संख्या बढ़ेगी।

भारत की semiconductor रणनीति
भारत सरकार ने semiconductor industry को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं और निजी कंपनियों ने भी इस sector में निवेश करने के लिए अपनी योजनाओं का खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार के समर्थन के साथ, इस sector में विनिर्माण सुविधाओं के निर्माण में बड़े पैमाने पर निवेश किया जाएगा। साथ ही, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2026 तक भारत को semiconductor industry में 1 मिलियन कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। इसका मतलब है कि भारत को अपनी शिक्षा और कौशल विकास प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में बड़े कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में इस sector में काम करने के लिए पर्याप्त प्रतिभा उपलब्ध हो सके।

भारत में semiconductor industry  का विकास न केवल तकनीकी sector में महत्वपूर्ण होगा, बल्कि इससे लाखों नई नौकरियों के अवसर भी पैदा होंगे। हालांकि, इस sector को पूरी तरह से विकसित करने के लिए कुशल कार्यबल की आवश्यकता है, और इसके लिए भारत को शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण पर निवेश बढ़ाने की आवश्यकता होगी। अगर भारत इस दिशा में सही कदम उठाता है, तो वह semiconductor विनिर्माण का वैश्विक हब बन सकता है।

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