एम्स रिसर्च में खुलासा: मोबाइल की लत से बच्चों में बढ़ रही गंभीर बीमारी

Edited By Rahul Rana,Updated: 19 Nov, 2024 09:07 AM

serious diseases are increasing in children due to mobile addiction

आजकल बच्चों और किशोरों में मोबाइल फोन से गंभीर बीमारी बढ़ रही है और स्क्रीन टाइम की आदत तेजी से बढ़ रही है, जिसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। एम्स भोपाल के हालिया शोध और ओपीडी विश्लेषण से पता चला है कि मध्यप्रदेश में 33.1% किशोर...

नेशनल डेस्क। आजकल बच्चों और किशोरों में मोबाइल फोन से गंभीर बीमारी बढ़ रही है और स्क्रीन टाइम की आदत तेजी से बढ़ रही है, जिसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। एम्स भोपाल के हालिया शोध और ओपीडी विश्लेषण से पता चला है कि मध्यप्रदेश में 33.1% किशोर डिप्रेशन और 24.9% किशोर चिंता जैसी मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।

7 वर्षीय बच्चे पर मोबाइल की लत का खतरनाक असर

भोपाल के 7 वर्षीय सूर्यांश दुबे को वर्चुअल ऑटिज्म डिसऑर्डर हो गया था और इसकी वजह मोबाइल फोन पर अत्यधिक समय बिताना था। सूर्यांश दिन में 8 घंटे तक मोबाइल का इस्तेमाल करता था, जिसके कारण उसने बोलने की क्षमता खो दी थी और वह अजीब तरह की आवाजें निकालने लगा था। उसके परिवार ने लाखों रुपये खर्च करके इलाज कराया, और अब सूर्यांश की हालत में थोड़ा सुधार हुआ है। अब वह केवल आधे घंटे के लिए मोबाइल का इस्तेमाल करता है और धीरे-धीरे बोलना और पढ़ाई करना सीख रहा है।

एम्स भोपाल के रिसर्च के मुख्य निष्कर्ष

एम्स भोपाल ने कोरोना महामारी के बाद बच्चों और किशोरों की मानसिक स्थिति पर एक अध्ययन किया। यह अध्ययन 2 साल तक चला और इसमें 413 किशोरों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 14 से 19 साल के बीच थी। इस अध्ययन के दौरान जो आंकड़े सामने आए, वे चौंकाने वाले थे:

: 33.1% किशोर डिप्रेशन से पीड़ित हैं
: 24.9% किशोरों में चिंता के लक्षण पाए गए
: 56% किशोरों में उतावलापन की समस्या है
: 59% किशोरों में गुस्से की अधिकता देखी गई

अधिकांश किशोरों में मानसिक समस्याएं

वहीं चाइल्ड साइकोलोजिस्ट और शोधकर्ता डॉ. अनुराधा कुशवाहा ने कहा कि छोटे बच्चों में ऑटिज्म, देरी से बोलने की समस्या और किशोरों में चिड़चिड़ापन, आक्रामकता और मोटापे जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। उनका मानना है कि माता-पिता यह नहीं समझ पाते कि स्क्रीन टाइम को सीमित रखना कितना जरूरी है। बच्चे अब मशीनों से जल्दी सीख रहे हैं, लेकिन उन्हें बोलने में देर हो रही है।

WHO की स्क्रीन टाइम गाइडलाइंस

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम के बारे में कुछ स्पष्ट गाइडलाइंस जारी की हैं, जिनका पालन करना बहुत जरूरी है। ये गाइडलाइंस इस प्रकार हैं:

- 2 साल से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन से पूरी तरह दूर रखना चाहिए।
- 2 से 5 साल तक के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम 1 घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए।
- बड़े बच्चों और किशोरों को स्क्रीन टाइम को शारीरिक और मानसिक गतिविधियों के साथ संतुलित करना चाहिए।

स्क्रीन टाइम से बच्चों के विकास पर असर

एम्स भोपाल के मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. विजेंदर सिंह ने कहा कि स्क्रीन टाइम के बढ़ते प्रभाव से बच्चों के विकास में बाधा आ रही है। माता-पिता को बच्चों को परिवार के साथ अधिक समय बिताने और खेल-कूद में भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इस मौके पर डॉ. अजय सिंह, एम्स भोपाल के डायरेक्टर ने भी कहा कि तकनीकी दुनिया में स्क्रीन एडिक्शन के कारण मानसिक और शारीरिक समस्याएं बढ़ रही हैं, और हमारे संस्थान में मानसिक स्वास्थ्य और वेलनेस के लिए विशेष उपचार सुविधाएं उपलब्ध हैं।

समाज और परिवार की भूमिका

इस बढ़ते संकट से निपटने के लिए समाज और परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका है। डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। अभिभावकों और शिक्षकों को बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर स्क्रीन टाइम के अत्यधिक उपयोग को रोकने के उपाय करने होंगे।

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!