Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 19 Feb, 2025 11:18 AM

साल 2023 के दिसंबर में बेंगलुरु के एक सिनेमा हॉल में ‘सैम बहादुर’ फिल्म देखने गए अभिषेक एमआर और उनके परिवार को 25 मिनट की देर का सामना करना पड़ा। फिल्म जिस समय शुरू होनी थी, उससे पहले हॉल में लंबे समय तक अन्य फिल्म के ट्रेलर और विज्ञापनों का सिलसिला...
नेशनल डेस्क: साल 2023 के दिसंबर में बेंगलुरु के एक सिनेमा हॉल में ‘सैम बहादुर’ फिल्म देखने गए अभिषेक एमआर और उनके परिवार को 25 मिनट की देर का सामना करना पड़ा। फिल्म जिस समय शुरू होनी थी, उससे पहले हॉल में लंबे समय तक अन्य फिल्म के ट्रेलर और विज्ञापनों का सिलसिला चलता रहा, जो कि फिल्म के वास्तविक समय से 25 मिनट बाद खत्म हुआ। इस देरी ने अभिषेक की दिनचर्या में बाधा डाली और वह इसे लेकर कंज्यूमर फोरम गए, जहां से उन्हें न्याय मिला। अभिषेक की शिकायत पर बेंगलुरु शहरी जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने 15 फरवरी, 2024 को पिवीआर INOX पर 1.28 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। आयोग ने अपने फैसले में कहा कि पिवीआर ने टिकट पर फिल्म शुरू होने का जो समय दिया था, वह वास्तविक समय था, न कि विज्ञापनों और ट्रेलरों का समय। इस मामले में पिवीआर की ओर से दी गई कई दलीलों को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
विज्ञापन की वजह से देरी, कोर्ट का बड़ा निर्णय
अभिषेक ने अदालत में इस बात का दावा किया कि फिल्म में देरी होने के कारण उनका समय बर्बाद हुआ और उनका काम प्रभावित हुआ। कोर्ट ने पिवीआर के उस तर्क को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि लंबे विज्ञापनों का उद्देश्य दर्शकों को फिल्म के लिए तैयार करना था। आयोग ने कहा कि पिवीआर को दर्शकों का समय बर्बाद करने का अधिकार नहीं है और यह किसी के लिए भी असुविधाजनक हो सकता है।
पिवीआर की गलतफहमी और कोर्ट का फैसला
पिवीआर ने दावा किया कि सरकार की ओर से जरूरी घोषणाएं दिखाई गई थीं, जो अनिवार्य थीं। हालांकि, यह साबित नहीं हो पाया। कोर्ट ने माना कि जो विज्ञापन दिखाए गए थे, वे कोई सरकारी घोषणाएं नहीं बल्कि केवल व्यावसायिक विज्ञापन थे। इसके साथ ही पिवीआर का यह तर्क भी खारिज कर दिया गया कि इससे देर से आने वाले दर्शकों को मदद मिलती है।
कैसे हुआ जुर्माना और कितना मिलेगा मुआवजा?
कंज्यूमर फोरम के फैसले के मुताबिक, पिवीआर INOX को अभिषेक को मानसिक पीड़ा के लिए 20,000 रुपये, कानूनी खर्च के लिए 8,000 रुपये और व्यापार में अनुचित तरीके से व्यवहार करने के लिए 1 लाख रुपये का दंडात्मक हर्जाना देना होगा। यह राशि उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा की जाएगी। अगर पिवीआर ने 30 दिनों के भीतर यह राशि नहीं दी, तो उस पर 10% वार्षिक ब्याज लगेगा।