गंगा-यमुना संगम पर भयंकर गंदगी फैला रहा है सीवेज, एन.जी.टी. ने लगाई यू.पी. सरकार को फटकार

Edited By Mahima,Updated: 06 Jul, 2024 08:43 AM

sewage is spreading a lot of filth at the confluence of ganga and yamuna

नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) ने प्रयागराज में गंगा-यमुना संगम पर सीवेज से फैल रही भंयकर गंदगी को  लेकर उत्तर प्रदेश (यू.पी.) सरकार को फटकार लगाई है।

नेशनल डेस्क: नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) ने प्रयागराज में गंगा-यमुना संगम पर सीवेज से फैल रही भंयकर गंदगी को  लेकर उत्तर प्रदेश (यू.पी.) सरकार को फटकार लगाई है। प्रयागराज में अगले साल जनवरी में आयोजित होने वाले महाकुंभ मेले के मद्देनजर एन.जी.टी. ने कहा है कि महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु न केवल संगम पर डुबकी लगाएंगे, बल्कि पीने के लिए भी पानी का इस्तेमाल करेंगे। इसलिए सीवेज को पानी में बहने से रोकने के लिए समय पर और तेजी से उपाय किए जाने चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक एन.जी.टी. के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ याचिकाकर्ता कमलेश सिंह के मामले की सुनवाई कर रही है।

गंगा में सीधे गिर रहा है 73.80 मिलियन लीटर सीवेज
1 जुलाई को संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद पीठ ने कहा कि दस्तावेज से पता चलता है कि आगामी महाकुंभ के लिए कोई प्रभावी प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। प्रयागराज शहर में 81 नाले हैं, जिनके माध्यम से प्रतिदिन 289.97 मिलियन लीटर (एम.एल.डी) सीवेज निकलता है। इसमें से केवल 178.31 एम.एल.डी. सीवेज सीवेज नेटवर्क के माध्यम से मौजूदा 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एस.टी.पी.) तक पहुंचता है। शेष 128.28 एम.एल.डी. सीवेज का उपचार किया जाना बाकी है। 81 नालों में से 44 का अभी भी दोहन नहीं हुआ है। इन नालों के जरिए प्रतिदिन 73.80 मिलियन लीटर (एम.एल.डी.) अनुपचारित सीवेज सीधे गंगा में गिर रहा है।

यू.पी. सरकार की दलील से अदालत संतुष्ट नहीं
यू.पी. सरकार के वकील ने कहा कि नवंबर 2024 तक 44 में से 17 नालों का दोहन कर उन्हें एस.टी.पी. से जोड़ दिया जाएगा, जिससे 11.61 एम.एल.डी. सीवेज का उत्पादन रुक जाएगा। इसके अलावा 44 नालों के सीवेज उपचार में कमी को पूरा करने के लिए कुल 183 एम.एल.डी. क्षमता वाले तीन एस.टी.पी. बनाए जा रहे हैं। इन तीनों एस.टी.पी. की क्षमता 90, 43 और 50 एम.एल.डी. है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीठ सरकार की दलीलों से संतुष्ट नहीं हुई। पीठ ने कहा कि संयुक्त समिति की रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि 90 और 50 एम.एल.डी. क्षमता वाले एस.टी.पी. के लिए अभी तक टेंडर प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है। वहीं 43 एम.एल.डी. वाले एस.टी.पी. पर 19 मार्च 2024 से काम शुरू हो गया है।

166,456 घर सीवेज नेटवर्क से वंचित
ट्रिब्यूनल ने कहा कि संयुक्त समिति की रिपोर्ट में कई कमियों को उजागर किया गया है। उदाहरण के लिए प्रयागराज में नालों और सीवेज नेटवर्क के जरिए हर दिन 468.28 एम.एल.डी. सीवेज निकलता है। इसमें से 73.80 एम.एल.डी. 44 अप्रयुक्त नालों के जरिए गंगा-यमुना संगम में गिर रहा है। शेष 394.48 एम.एल.डी. सीवेज को 340 एम.एल.डी. क्षमता वाले 10 एस.टी.पी. में भेजा जा रहा है। एन.जी.टी. ने कहा कि स्पष्टता की जरूरत है, क्योंकि उत्पादित सीवेज की मात्रा उसके उपचार की क्षमता से अधिक है। उसने पूछा कि सीवेज का उपचार कैसे किया जा रहा है? कोर्ट ने इस तथ्य की ओर भी इशारा किया कि 166,456 घरों को अभी भी सीवेज नेटवर्क से जोड़ा जाना है।

अगली सुनवाई में प्रस्तुत करनी होगी प्रगति रिपोर्ट
ऐसी स्थिति में  इस पर स्पष्टीकरण की जरूरत है कि सीवेज को उपचार के लिए मौजूदा एस.टी.पी. या प्रस्तावित एस.टी.पी. में भेजा जाए? मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर 2024 को होगी। उस दिन राज्य सरकार को सीवेज के रिसाव को रोकने के लिए उठाए गए उचित कदमों के बारे में न्यायाधिकरण को प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। पीठ ने कहा कि  संगम में सीवेज के रिसाव को न केवल पूरी तरह से रोका जाना चाहिए बल्कि नदी के पानी की गुणवत्ता को पीने योग्य बनाया जाना चाहिए। नदी के पानी की गुणवत्ता को भी प्रदर्शित किया जाना चाहिए और स्नान घाटों पर श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों को इसके बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।

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