Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 23 Mar, 2025 07:31 PM

मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है जिसमें कहा गया कि पत्नी द्वारा पोर्न देखना और मास्टरबेट करना किसी भी स्थिति में तलाक का आधार नहीं हो सकता।
नेशनल डेस्क: मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है जिसमें कहा गया कि पत्नी द्वारा पोर्न देखना और मास्टरबेट करना किसी भी स्थिति में तलाक का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत आदतें, जैसे पोर्न देखना या मास्टरबेट करना, उसके वैवाहिक जीवन पर असर डालने के लिए पर्याप्त कारण नहीं हैं, जब तक कि पार्टनर को इस कार्य के लिए मजबूर न किया जाए। कोर्ट का यह फैसला एक फैमिली कोर्ट द्वारा खारिज की गई तलाक की अर्जी से संबंधित था, जिसे हाई कोर्ट ने सही ठहराया।
क्या है मामला?
यह मामला एक शख्स द्वारा अपनी पत्नी के खिलाफ तलाक की अर्जी दायर करने से जुड़ा था। पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी पोर्न देखती है और मास्टरबेट करती है, जिससे उसकी मानसिक स्थिति प्रभावित हो रही है और वैवाहिक जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है। इस शिकायत को लेकर मामले की सुनवाई मद्रास हाई कोर्ट में की गई, जहां जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन और जस्टिस आर. पूर्णिमा की बेंच ने इस पर अपना निर्णय दिया।
क्या कहा कोर्ट ने?
कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि अगर कोई महिला अकेले में पोर्न देखती है या मास्टरबेट करती है, तो इसे उसके साथी के साथ क्रूरता के रूप में नहीं माना जा सकता। अदालत ने कहा, "अगर पुरुष मास्टरबेट कर सकते हैं, तो महिलाओं को क्यों गलत ठहराया जाए?" कोर्ट ने यह भी माना कि पुरुषों के लिए मास्टरबेट करने के बाद सेक्स न करने की स्थिति सामान्य होती है, लेकिन महिलाओं के लिए ऐसा नहीं होता। इस तरह के व्यवहार से पति-पत्नी के रिश्ते में कोई प्रतिकूल असर साबित नहीं हुआ है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी महिला से यह पूछना कि वह पोर्न देखती है या मास्टरबेट करती है, उसकी निजी स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि शादी के बाद पत्नी किसी अन्य पुरुष के साथ यौन संबंध बनाती है, तो यह तलाक का आधार हो सकता है, लेकिन सिर्फ अपनी निजी संतुष्टि के लिए किसी कार्य को करना तलाक का कारण नहीं बन सकता है। कोर्ट ने कहा, "सिर्फ पोर्न देखना अपने आप में क्रूरता नहीं है। हालांकि, यह व्यक्ति की मानसिक सेहत पर असर डाल सकता है, लेकिन यह तलाक के लिए पर्याप्त कारण नहीं हो सकता। यदि इस आदत के कारण वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक असर पड़ता है और पार्टनर को इसको लेकर परेशान किया जाता है, तो यह तलाक का कारण बन सकता है।"
महिलाओं के प्रति असमान दृष्टिकोण
कोर्ट ने यह भी कहा कि समाज में अक्सर पुरुषों के मास्टरबेट करने को सामान्य माना जाता है, लेकिन महिलाओं के लिए इसे गलत ठहराया जाता है। कोर्ट ने यह तर्क दिया कि अगर एक महिला अपनी निजी संतुष्टि के लिए ऐसा करती है, तो इसमें कोई गलत बात नहीं है। इससे न तो उसका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता है और न ही यह उसकी शादीशुदा जिंदगी को खतरे में डालता है।