Edited By Rohini,Updated: 03 Jan, 2025 10:57 AM
बांग्लादेश ने अपनी नई पाठ्यपुस्तकों में इतिहास को लेकर बड़ा बदलाव किया है। इन पुस्तकों में अब यह कहा जा रहा है कि बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1971 में जियाउर रहमान ने देश की स्वतंत्रता की घोषणा की थी। इससे पहले तक यह माना जाता रहा था...
नेशनल डेस्क। बांग्लादेश ने अपनी नई पाठ्यपुस्तकों में इतिहास को लेकर बड़ा बदलाव किया है। इन पुस्तकों में अब यह कहा जा रहा है कि बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1971 में जियाउर रहमान ने देश की स्वतंत्रता की घोषणा की थी। इससे पहले तक यह माना जाता रहा था कि स्वतंत्रता की घोषणा बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान ने की थी। यह जानकारी बांग्लादेश के प्रमुख समाचार पत्र 'डेली स्टार' में प्रकाशित एक खबर में दी गई है।
नई पाठ्यपुस्तकों में बदलाव
नई पाठ्यपुस्तकों में यह उल्लेख किया गया है कि 26 मार्च 1971 को जियाउर रहमान ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की थी और 27 मार्च को उन्होंने शेख मुजीबुर्रहमान की ओर से भी स्वतंत्रता का ऐलान किया। बांग्लादेश के राष्ट्रीय पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तक बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर एकेएम रियाजुल हसन ने कहा कि शैक्षणिक वर्ष 2025 के लिए यह नया बदलाव किया गया है।
'राष्ट्रपिता' की उपाधि हटाई गई
नई पाठ्यपुस्तकों में एक और बड़ा बदलाव यह हुआ है कि शेख मुजीबुर्रहमान से 'राष्ट्रपिता' की उपाधि हटा दी गई है। इससे पहले बांग्लादेश में शेख मुजीब को राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता था लेकिन अब यह उपाधि समाप्त कर दी गई है।
पाठ्यपुस्तकों के संशोधन की प्रक्रिया
पाठ्यपुस्तकों के बदलाव में शामिल रहे लेखक और शोधकर्ता राखल राहा ने कहा कि उनका उद्देश्य इन पुस्तकों को "अतिशयोक्तिपूर्ण, थोपे गए इतिहास" से मुक्त करना था। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक तथ्य सही नहीं था कि शेख मुजीबुर्रहमान ने पाकिस्तानी सेना द्वारा गिरफ्तारी के दौरान वायरलेस संदेश के जरिए स्वतंत्रता की घोषणा की थी इसलिए इसे हटा दिया गया।
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कक्षा 1 से 10 तक के पाठ्यक्रम में बदलाव
खबर के मुताबिक बांग्लादेश की कक्षा 1 से 10 तक की पाठ्यपुस्तकों में स्वतंत्रता की घोषणा करने वाले के बारे में जानकारी हमेशा सत्ता में रहने वाली पार्टी के अनुसार बदलती रही है। अवामी लीग के समर्थकों के बीच यह विश्वास था कि मुजीबुर्रहमान ने स्वतंत्रता की घोषणा की थी जबकि कुछ का मानना था कि मेजर जियाउर रहमान ने केवल मुजीब के आदेश पर यह घोषणा की थी। जियाउर रहमान बाद में मुक्ति संग्राम के सेक्टर कमांडर बने थे।
नोटों से हटाई गई शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर
इससे पहले बांग्लादेश ने अपने पुराने नोटों से शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर को हटाने का निर्णय लिया था। यह कदम शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी और प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद उठाया गया था। हसीना के भारत जाने के बाद मुजीबुर्रहमान की प्रतिमाओं और तस्वीरों को निशाना बनाया गया। इसके अलावा अंतरिम सरकार ने शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या की बरसी 15 अगस्त के राष्ट्रीय अवकाश को भी रद्द कर दिया था।
नया इतिहास
बांग्लादेश में हो रहे इन बदलावों को लेकर अब देश में एक नया इतिहास लिखा जा रहा है। यह बदलाव बांग्लादेश के भीतर राजनीतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकते हैं क्योंकि यह नए दृष्टिकोण से स्वतंत्रता संग्राम और उसके नायकों को परिभाषित करता है।