'किसान के नाम पर INDI Bloc कर रहा सिर्फ राजनीति', शिवराज ने UPA सरकार का कैबिनेट नोट दिखाकर खोल दी विपक्ष की पोल

Edited By Yaspal,Updated: 27 Jul, 2024 06:20 AM

shivraj exposed the opposition by showing the cabinet note of the upa government

विपक्ष पर किसानों के मुद्दों पर केवल राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कृषि एवं किसान  कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि किसानों का कल्याण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसके लिए वह पूरी जिम्मेदारी के साथ अथक...

नई दिल्लीः विपक्ष पर किसानों के मुद्दों पर केवल राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कृषि एवं किसान  कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि किसानों का कल्याण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसके लिए वह पूरी जिम्मेदारी के साथ अथक परिश्रम करती रहेगी। उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान सिंह ने पूरक प्रश्नों के जवाब में बताया कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने सहित विभिन्न मुद्दों पर विचार करने के लिए सरकार ने एक समिति का गठन किया था जिसकी नियमित बैठकें होती हैं। उन्होंने कहा कि 22 जुलाई 2022 से समिति की छह बैठकें हो चुकी हैं और विभिन्न उपसमितियों की 35 बैठकें हुई हैं। उन्होंने कहा कि समिति से ‘कृषि लागत और मूल्य आयोग' (सीएसीपी) को अधिक स्वायत्तता देने की व्यवहार्यता पर तथा इसे और अधिक वैज्ञानिक बनाने पर विचार करने को कहा गया है।

प्रधानमंत्री मोदी से बड़ा कोई किसान हितैषी नहीं
एमएसपी की दरों में लगातार वृद्धि किए जाने का दावा करते हुए सिंह ने कहा कि समिति की रिपोर्ट मिलने पर सरकार उस पर विचार करेगी। उन्होंने कहा ‘‘लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार किसानों के कल्याण के काम में निरंतर जुटी है।'' उन्होंने कहा कि सरकार छह सूत्री रणनीति पर काम कर रही है जिसमें उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन की लागत घटाना, उपज का समुचित दाम देना, प्राकृतिक आपदा होने पर नुकसान की भरपाई करना, कृषि का विविधिकरण और प्राकृतिक खेती शामिल है। उन्होंने कहा ‘‘प्रधानमंत्री मोदी से बड़ा कोई किसान हितैषी नहीं है।''

चौहान ने कहा ‘‘ वर्ष 2013-14 तक (तब की UPA सरकार के कार्यकाल तक) बाजरे का एमएसपी 1250 रुपये प्रति क्विंटल था जिसे बढ़ा कर हमने 2625 रुपये प्रति क्विंटल किया। मक्का का एमएसपी 2013-14 में 1310 रुपये प्रति क्विंटल था जिसे हमारी सरकार ने बढ़ा कर 2225 रुपये प्रति क्विंटल किया है। इसी तरह रागी का एमएसपी UPA सरकार के समय 1500 रुपये प्रति क्विंटल था जो आज बढ़ कर 4290 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है और गेहूं का एमएसपी भी 1400 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ कर आज 2275 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।'' उन्होंने कहा ‘‘आंकड़े साफ बता रहे हैं कि एमएसपी लगातार बढ़ाया गया है। पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत सरकार की तुलना में आज NDA सरकार ने दोगुना एमएसपी किसानों को दिया है।''

UPA सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें स्वीकार नहीं कीं
चौहान ने किसानों के कल्याण को सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए कहा कि उत्पादन की लागत में 50 फीसदी दाम जोड़ कर किसानों को दिया जाता है और सरकार उनकी उपज खरीद भी रही है। कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर गठित स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि लागत पर 50 फीसदी मुनाफा दे कर समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए। उन्होंने कहा ‘‘लेकिन तब की UPA सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें स्वीकार नहीं कीं।'' उन्होंने कहा ‘‘ये (विपक्ष) किसान के नाम पर केवल राजनीति करना चाहते हैं लेकिन मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि किसानों का कल्याण NDA सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसके लिए वह पूरी जिम्मेदारी के साथ अथक परिश्रम करती रहेगी।'' उन्होंने कहा कि आज गेहूं, धान और अन्य उपज की खरीदी तथा किसानों की संख्या दोनों में बढ़ोत्तरी हुई है। ‘‘यहां तक कि एक लाख 68 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी उर्वरकों पर दी जा रही है।''

मंत्री के जवाब पर कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला और जयराम रमेश सहित अन्य सदस्यों ने असंतोष जताया और सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने इसका प्रतिकार किया और फिर सदन में हंगामा होने लगा। सभापति जगदीप धनखड़ ने सदस्यों से शांत रहने की अपील की। हंगामा न थमने पर उन्होंने क्षोभ जताते हुए कहा कि भारत किसान प्रधान और कृषि प्रधान देश है तथा किसानों की समस्याओं पर चर्चा सदन में हो रही है लेकिन इसे हंगामा कर बाधित किया जा रहा है। उन्होंने अन्नाद्रमुक सदस्य शणमुगम से पूरक प्रश्न पूछने के लिए कहा। शणमुगम ने चाय और कॉफी के लिए एमएसपी तय किए जाने के संबंध में पूरक प्रश्न पूछा।

विपक्ष ने किया हंगामा
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके जवाब में कहा कि अभी एमएसपी 23 फसलों पर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चाय और कॉफी पर एमएसपी के बारे में वाणिज्य मंत्रालय फैसला करेगा। सभापति धनखड़ ने कहा कि यह एक अहम मुद्दा है और इस पर कृषि मंत्रालय तथा वाणिज्य मंत्रालय दोनों ही विचार विमर्श कर सदन को अवगत कराएं। इस बीच विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी था जिस पर सभापति ने नाराजगी जाहिर की। इसी दौरान वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कुछ कहने की अनुमति मांगी। आसन से अनुमति मिलने पर उन्होंने कहा ‘‘यह सोची समझी रणनीति है सदन को बाधित करने की।''

धनखड़ ने कहा कि आज की चर्चा का सबसे बड़ा फायदा यह है कि चाय कॉफी के बारे में एक सदस्य ने गंभीर बात कही है जिसका सार्थक नतीजा निकलेगा। अपने जवाब को पूरा करते हुए चौहान ने कहा ‘‘सरकार ने फैसला किया है कि किसान जितनी भी तुअर, मसूर, उड़द दाल का उत्पादन करेगा, एमएसपी के साथ उसे पूरा खरीदा जाएगा ताकि देश में दलहन का उत्पादन बढ़ सके। 2004 से 14 के बीच पूर्ववर्ती UPA सरकार के कार्यकाल में केवल 45 करोड़ 90 लाख मीट्रिक टन उपज की खरीद हुई लेकिन NDA सरकार में 69 करोड़ 18 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई।''

चौहान ने कहा कि गेहूं की खरीद 2004-2005 से 2013-2014 के बीच 21 करोड़ मीट्रिक टन थी लेकिन NDA सरकार में यह खरीद 38 करोड़ मीट्रिक टन हो गई। उन्होंने कहा कि इसी तरह दलहन की खरीद UPA के समय छह लाख मीट्रिक टन थी जो NDA सरकार के कार्यकाल में बढ़ कर अब एक करोड़ 70 लाख मीट्रिक टन हो गई है। तिलहन की खरीद भी 50 लाख मीट्रिक टन से बढ़ कर आज 87 लाख मीट्रिक टन हो गई है। उन्होंने कहा ‘‘पूर्ववर्ती UPA सरकार के समय संस्थागत रिण ऊंची ब्याज दर पर 7.3 लाख करोड़ रुपये था लेकिन आज संस्थागत रिण 25 लाख करोड़ रुपये है। धान की खरीद के एमएसपी लाभान्वित किसान पूर्ववर्ती UPA सरकार के कार्यकाल में केवल 78 लाख थे जिनकी संख्या आज एक करोड़ तीन लाख 83 हजार 248 हो गई है। गेहूं के किसानों की संख्या भी 20 लाख से बढ़ कर आज 22 लाख 69 हजार 265 हो गई है।''

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