सत्येंद्र जैन को सुप्रीम कोर्ट से झटका, HC के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

Edited By Yaspal,Updated: 12 Dec, 2022 07:04 PM

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सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें मामले में जमानत का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब...

नेशनल डेस्कः सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें मामले में जमानत का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा था। अदालत ने कहा कि शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय के ‘रोस्टर' को निर्धारित नहीं कर सकती है।

जस्टिस एम. आर. शाह और जस्टिस एस. रवींद्र भट की पीठ ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने पर जैन की खिंचाई की, जबकि उच्च न्यायालय इस मामले पर सुनवाई कर रहा है। जैन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि हाईकोर्ट को इस मामले को जल्द सुनने को कहा जाये, क्योंकि छुट्टियां शुरू होने वाली हैं। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘आप सीधे उच्चतम न्यायालय आते हैं, क्योंकि आप यहां आने का खर्च उठा सकते हैं। आप शीघ्र सुनवाई के लिए हाईकोर्ट से अनुरोध कर सकते हैं। हम यहां उच्च न्यायालय का रोस्टर तय करने नहीं आए हैं।''

ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस अनुरोध का विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ता को हर जगह विशेष रियायत नहीं मिल सकती है। मेहता ने कहा, ‘‘जेलों में कई लोग हैं, जो जल्द से जल्द मामले का निपटारा चाहते हैं, लेकिन उच्चतम न्यायालय का रुख करने में सक्षम नहीं है।'' मेहता ने जमानत याचिका पर शीघ्र सुनवाई के लिए जैन की याचिका का पुरजोर विरोध किया। न्यायमूर्ति भट ने अदालतों में लंबित जमानत मामलों पर चिंता व्यक्त की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक दिसंबर को ईडी द्वारा दर्ज धनशोधन के एक मामले में जेल में बंद आम आदमी पार्टी (आप) नेता सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर केंद्रीय एजेंसी का रुख जानना चाहा था। जैन ने 30 सितंबर, 2017 को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज ईडी के मामले के संबंध में जमानत मांगी है और अपनी याचिका में कहा है कि वह न तो गवाहों को प्रभावित करने की स्थिति में और न ही सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की स्थिति में हैं। उन्होने कहा कि वह उड़ान जोखिम सूची में भी नहीं हैं। इस मामले में उच्च न्यायालय द्वारा अगली सुनवाई 20 दिसंबर को की जाएगी।

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