भारतीय वायुसेना में लड़ाकू विमानों की कमी: मोदी सरकार ने बनाई High Level Committee

Edited By Rahul Rana,Updated: 23 Dec, 2024 03:09 PM

shortage of fighter planes in iaf modi govt formed high level committee

भारत की सुरक्षा को लेकर एक बड़ी चिंता सामने आई है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय वायुसेना के पास फाइटर जेट्स की भारी कमी है। यह कमी ऐसे समय में हो रही है जब भारत के दोनों पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान अपनी वायुसेना को अत्याधुनिक विमानों से लैस...

नेशनल डेस्क। भारत की सुरक्षा को लेकर एक बड़ी चिंता सामने आई है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय वायुसेना के पास फाइटर जेट्स की भारी कमी है। यह कमी ऐसे समय में हो रही है जब भारत के दोनों पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान अपनी वायुसेना को अत्याधुनिक विमानों से लैस कर रहे हैं। इससे भारत के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है।

भारतीय वायुसेना में विमानों की घटी संख्या 

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायुसेना में लड़ाकू विमानों का बेड़ा अब तक के सबसे कम स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय वायुसेना में 42 स्क्वाड्रन होने चाहिए लेकिन वर्तमान में सिर्फ 31 स्क्वाड्रन ही बचे हैं। इसके अलावा मिग-21 जैसे पुराने फाइटर जेट्स के दो स्क्वाड्रन लगभग ऑपरेशनल नहीं हैं क्योंकि उनकी उपयोगिता खत्म हो चुकी है।

भारतीय वायुसेना पिछले कई सालों से मिग-21 विमानों को अपने बेड़े से हटाना चाह रही है लेकिन नए विमानों की कमी के कारण ऐसा नहीं हो पाया है।

मोदी सरकार का बड़ा कदम

फाइटर जेट्स की इस गंभीर कमी को दूर करने के लिए मोदी सरकार ने रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। यह समिति भारतीय वायुसेना के लिए एक रोडमैप तैयार करेगी और जनवरी 2025 तक अपनी रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है।

इस समिति में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के प्रमुख समीर वी कामत, रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार और भारतीय वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल तेजिंदर सिंह भी शामिल हैं।

विमानों की खरीद और उत्पादन की योजना

समिति के सुझाव के आधार पर भारतीय वायुसेना के लिए कुछ फाइटर जेट्स सीधे खरीदे जाएंगे जबकि बाकी विमानों का निर्माण भारत में ही किया जाएगा।

- तेजस फाइटर जेट: अमेरिकी कंपनी GE ने जानकारी दी है कि तेजस फाइटर जेट्स के लिए इंजन की आपूर्ति मार्च 2025 से शुरू होगी। यह पहले तय समय से दो साल की देरी है।
- नई पीढ़ी के फाइटर जेट्स: भारत 114 नए 4.5-पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की खरीद की योजना बना रहा है जो लंबे समय से रुकी हुई है।

अन्य सामरिक संपत्तियों की भी कमी

यह संकट केवल फाइटर जेट्स तक सीमित नहीं है। भारतीय वायुसेना को अन्य सामरिक संपत्तियों की भी कमी का सामना करना पड़ रहा है:

- मिड-एयर रिफ्यूलर विमानों की कमी: आवश्यक 18 विमानों के मुकाबले भारतीय वायुसेना के पास केवल 6 विमान हैं।
- AEW&C विमान: भारतीय वायुसेना के पास सिर्फ 6 एयरबोर्न अर्ली-वार्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) विमान हैं जबकि पाकिस्तान के पास इनकी संख्या ज्यादा है। वायुसेना को कम से कम 12 और ऐसे विमानों की जरूरत है।

चीन और पाकिस्तान से खतरा

भारत के दोनों पड़ोसी देश, चीन और पाकिस्तान लगातार अपनी वायुसेना को उन्नत बना रहे हैं। पाकिस्तान ने इस साल चीन से 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान खरीदने की घोषणा की है। भारत को दो मोर्चों पर युद्ध लड़ने की संभावना के लिए तैयार रहना होगा।

विशेषज्ञों की चेतावनी

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत को चीन और पाकिस्तान के साथ एक साथ युद्ध लड़ना पड़ा तो वायुसेना को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वायुसेना के बेड़े में विमानों की कमी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकती है।

वहीं सरकार और वायुसेना की यह योजना आने वाले समय में भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

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