शुभेंदु अधिकारी का चुनौतीपूर्ण बयान: 15 अप्रैल तक सूची नहीं दी तो 'नवान्न' मार्च करेंगे

Edited By Rahul Rana,Updated: 07 Apr, 2025 06:00 PM

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बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को करीब 26,000 स्कूली नौकरियां रद्द होने के लिए सोमवार को जिम्मेदार ठहराया और उनकी सरकार पर योग्य एवं दागी उम्मीदवारों की सूची उच्चतम न्यायालय को सौंपने में बार-बार विफल...

नेशनल डेस्क: बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को करीब 26,000 स्कूली नौकरियां रद्द होने के लिए जिम्मेदार ठहराया और उनकी सरकार पर योग्य एवं दागी उम्मीदवारों की सूची उच्चतम न्यायालय को सौंपने में बार-बार विफल रहने का आरोप लगाया। विधानसभा के बाहर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अधिकारी ने आरोप लगाया कि कई मौके मिलने के बावजूद राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत द्वारा मांगी गई सूची कभी पेश नहीं की। उन्होंने बर्खास्त किए गए शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों से उच्चतम न्यायालय के समक्ष समीक्षा याचिका दायर करने का आग्रह किया और घोषणा की कि यदि जरूरी हुआ तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक कानूनी खर्च वहन करेंगे। अधिकारी ने कहा, ‘‘सरकार के पास अभी भी मौका है। 15 अप्रैल तक सूची सौंप दें। अन्यथा, 21 अप्रैल को हम एक लाख लोगों के साथ ‘नवान्न' (पश्चिम बंगाल का सचिवालय) तक मार्च करेंगे। यह एक गैर-राजनीतिक, जनता का आंदोलन होगा। जरूरत पड़ी तो हम धरने पर बैठेंगे और इस सरकार को सत्ता से बाहर करेंगे।'' उन्होंने बनर्जी को व्यक्तिगत रूप से योग्य उम्मीदवारों की सूची अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने की चुनौती भी दी। 

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अधिकारी ने कहा, ‘‘आप दावा करती हैं कि केवल योग्य उम्मीदवारों को ही नौकरी दी गई। अगर यह सच है, तो आप खुद सूची प्रस्तुत करें। अदालत को फैसला करने दें। अगर आप ऐसा नहीं कर सकती हैं, तो 2.3 लाख उम्मीदवारों को फिर से परीक्षा देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।'' अधिकारी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की स्वायत्तता को नष्ट कर दिया और इसे स्वतंत्र रूप से काम करने से रोक दिया। उन्होंने कहा, ‘‘सीबीआई की बदौलत कई योग्य उम्मीदवारों की पहचान हो गई। अन्यथा, सामाजिक अशांति कहीं अधिक बदतर होती।'' भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय के पिछले आदेश को स्वीकार कर लिया होता, तो 19,000 शिक्षकों की नौकरी नहीं जाती। 

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अधिकारी ने कहा, ‘‘इसके बजाय, ममता सरकार के पास प्लान बी और सी है - बेरोजगारों को 10,000 रुपये प्रति माह देकर नागरिक शिक्षक बनाना। हम प्लान ए चाहते हैं: न्याय और नौकरियों की बहाली।'' उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी पर केवल कुछ चुनिंदा लोगों का पक्ष लेने का आरोप लगाया। भाजपा नेता ने कहा, ‘‘वह बंगाल की मुख्यमंत्री नहीं हैं, वह तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की नेता हैं। मुख्यमंत्री को सभी बर्खास्त शिक्षकों से मिलना चाहिए, न कि सिर्फ मुट्ठी भर शिक्षकों से।'' इससे पहले, अधिकारी के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने विधानसभा के बाहर नारेबाजी करते हुए और ‘टीएमसी चोर' लिखी तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया। उन्होंने दावा किया कि 26,000 प्रभावित उम्मीदवारों में से सरकार ने नेताजी इंडोर स्टेडियम में मुख्यमंत्री के साथ बातचीत के लिए केवल 7,000 को ही चुना। अधिकारी ने दावा किया, ‘‘बनर्जी ने किसी भी पीड़ित शिक्षक को बोलने की अनुमति नहीं दी। बातचीत का नाटक किया गया। कई योग्य उम्मीदवारों को कार्यक्रम स्थल में प्रवेश करने की भी अनुमति नहीं दी गई।'' इस बीच, राज्य सरकार ने कहा है कि वह नियुक्तियों को रद्द करने वाले आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। हालांकि, अधिकारी ने जोर दिया कि बनर्जी को खुद वकील के तौर पर मुकदमा लड़ना चाहिए और मेधा सूची अदालत में जमा करानी चाहिए। 

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