Edited By Tanuja,Updated: 26 Dec, 2021 03:13 PM
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कृपाण रखने को लेकर पाकिस्तानी अदालत के फैसले से दुनियाभर के सिख भड़क गए हैं। पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में पेशावर ...
पेशावरः कृपाण रखने को लेकर पाकिस्तानी अदालत के फैसले से दुनियाभर के सिख भड़क गए हैं। पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में पेशावर हाईकोर्ट ने सिख समुदाय की तरफ से लगाई गई याचिका पर आदेश दिया है कि उन्हें अपने साथ कृपाण रखने के लिए लाइसेंस जारी किए जाएं। इसे लेकर सिख संगठनों में नाराजगी है क्योंकि कृपाण सिख धर्म का प्रतीक है और यह पांच ककारों में शामिल है। ऐसे में इसे रखना उनका धार्मिक आजादी का अधिकार है और इसे हथियारों से जोड़कर देखना अनुचित है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पेशावर सिख समुदाय की तरफ से अक्तूबर 2020 में पाकिस्तान के चारों प्रांतों के उच्च न्यायालयों में एक याचिका दायर कर अदालत परिसर समेत सभी सरकारी संस्थानों में कृपाण को साथ रखने की अनुमति मांगी गई थी। यह फैसला इसी कड़ी में 22 दिसंबर को आया है।पेशावर हाईकोर्ट ने 2012 की हथियार नीति के तहत लाइसेंस के साथ ही तलवार रखने की भी अनुमति दी है। लेकिन इस फैसले से पाकिस्तानी सिख समुदाय संतुष्ट नहीं है।
उनका मानना है कि कृपाण उनके धर्म के साथ-साथ उनके जिस्म का भी अहम हिस्सा है और उसे हथियारों के साथ जोड़ने से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। सिखों का कहना है कि सिख समुदाय दुनिया भर में एक शांतिपूर्ण कौम के रूप में पहचाना जाता है और सिखों ने कभी भी कृपाण का इस्तेमाल किसी की जान लेने के लिए नहीं किया है।
सिखों का मानना है कि तलवार का लाइसेंस उनके लिए आसानी नहीं बल्कि मुश्किल का सबब बनेगा। सिख समुदाय ने चिंता जताई कि कृपाण पर लाइसेंस परमिट जारी करने की फीस और कई अन्य कानून लगाए जाएंगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध भी किया है। उनका कहना है कि सिख उम्मीद कर रहे हैं कि अदालत इस पर संवेदना के साथ ध्यान देगी।