दूध-अखबार बेचा, घर भी रखा गिरवी... लोगों के बाल काटकर बदली अपनी तकदीर, जानिए अरबपति नाई की कहानी

Edited By Mahima,Updated: 01 Jul, 2024 11:40 AM

sold milk and newspapers even mortgaged the house

बंगलूरू के रहने वाले रमेश बाबू को 'अरबपति नाई' के नाम से जाना जाता है। उनकी कहानी किसी भी व्यक्ति को कठिन परिश्रम और लगन से सफलता पाने के लिए प्रेरित कर सकती है। उनके पास सैकड़ों लग्जरी कारों का संग्रह है, जिसमें रोल्स रॉयस, मर्सडीज, बीएमडब्ल्यू और...

नेशनल डेस्क: बंगलूरू के रहने वाले रमेश बाबू को 'अरबपति नाई' के नाम से जाना जाता है। उनकी कहानी किसी भी व्यक्ति को कठिन परिश्रम और लगन से सफलता पाने के लिए प्रेरित कर सकती है। उनके पास सैकड़ों लग्जरी कारों का संग्रह है, जिसमें रोल्स रॉयस, मर्सडीज, बीएमडब्ल्यू और ऑडी शामिल हैं।

संघर्षमय बचपन
रमेश बाबू का जन्म बंगलूरू में हुआ। सात साल की उम्र में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया। उनकी मां ने तीन बच्चों का पेट पालने के लिए दूसरों के घरों में काम किया। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उन्हें एक समय का ही भोजन मिलता था। रमेश ने भी परिवार का सहयोग करने के लिए अखबार बांटे, दूध बेचा और चाचा की दुकान में काम किया।

शिक्षा और शुरुआती मेहनत
रमेश ने जैसे-तैसे दसवीं तक की पढ़ाई पूरी की और अपने पिता की नाई की दुकान को एक ट्रेंडी सैलून में बदल दिया। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा किया और सैलून के साथ-साथ पढ़ाई भी जारी रखी। उनके सैलून के ग्राहकों में सैन्य अधिकारी, बड़े राजनेता, पुलिस अधिकारी और फिल्म अभिनेता शामिल थे।

व्यवसायिक यात्रा
हेयर कट और हेयरस्टाइल सीखने के लिए उन्होंने सिंगापुर में कोर्स किया। 2011 में उन्होंने रोल्स रॉयस खरीदने का जोखिम उठाया। लोगों ने उन्हें इस कदम से मना किया, लेकिन रमेश बाबू ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश की। धीरे-धीरे उनका व्यवसाय सफल हुआ और आज उनके पास लग्जरी कारों का बड़ा संग्रह है।

सीख और प्रेरणा
रमेश बाबू की कहानी हमें सिखाती है कि:
- दृढ़ संकल्प और मेहनत से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।
- संघर्ष हर किसी के जीवन में आता है, लेकिन जो हार नहीं मानते, वही सफल होते हैं।
- अपने लक्ष्य के प्रति जुनून और विश्वास होना जरूरी है।
रमेश बाबू की इस कहानी से यह स्पष्ट है कि कड़ी मेहनत और लगन से कोई भी व्यक्ति अपनी तकदीर बदल सकता है। उनकी यात्रा हमें सिखाती है कि असंभव कुछ भी नहीं है, बस जरूरत है तो जुनून और मेहनत की।







 

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