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अंतरिक्ष में निजी कंपनियों ने लगाई बड़ी छलांग, SpaceX ने चांद पर भेजे दो यान

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 15 Jan, 2025 04:31 PM

spacex sent two private vehicles from america and japan to the moon

अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए निजी कंपनियों ने चंद्रमा की ओर अपने यान रवाना किए हैं। आज स्पेसएक्स ने जापान और अमेरिका की दो निजी कंपनियों द्वारा बनाए गए लूनर लैंडर्स (चांद पर उतरने वाले यान) को नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से...

नेशनल डेस्क। अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए निजी कंपनियों ने चंद्रमा की ओर अपने यान रवाना किए हैं। आज स्पेसएक्स ने जापान और अमेरिका की दो निजी कंपनियों द्वारा बनाए गए लूनर लैंडर्स (चांद पर उतरने वाले यान) को नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया। ये यान अलग-अलग मिशनों के साथ चांद पर भेजे गए हैं। यह अंतरिक्ष में निजी कंपनियों की बढ़ती भागीदारी का संकेत देता है।

क्या करेंगे ये लैंडर्स?

अमेरिकी कंपनी फायरफ्लाई एयरोस्पेस का ब्लू घोस्ट

लक्ष्य: यह यान चंद्रमा की सतह पर मौजूद धूल, सतह के तापमान और भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों के उपकरणों को सुरक्षित रखने से जुड़े प्रयोग करेगा।
स्थान: यह यान चंद्रमा के उत्तरी हिस्से के ज्वालामुखीय क्षेत्र मैरे क्रिसियम में उतरेगा।
समय: मार्च 2025 की शुरुआत में यह चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा।
डिजाइन: इसका नाम अमेरिका की एक खास प्रजाति के जुगनू ब्लू घोस्ट के नाम पर रखा गया है। ➤ इसकी लंबाई लगभग 6.5 फीट है।

जापानी कंपनी आईस्पेस का रेजिलिएंस लैंडर

लक्ष्य: चांद की मिट्टी को इकट्ठा करना, पानी और भोजन के स्रोतों का परीक्षण करना।
समय: यह यान चांद के पास मई या जून 2025 में पहुंचेगा।
डिजाइन: इसमें एक छोटा रोवर (वाहन) है जो चांद की सतह पर धीरे-धीरे घूमेगा और नमूने इकट्ठा करेगा।

 

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नासा का समर्थन और निवेश

नासा ने फायरफ्लाई मिशन के लिए 145 मिलियन डॉलर (करीब 1200 करोड़ रुपये) की सहायता दी है। इसमें मिशन के लिए 101 मिलियन डॉलर और प्रयोगों के लिए 44 मिलियन डॉलर शामिल हैं।
जापानी कंपनी आईस्पेस के सीईओ ने मिशन की लागत नहीं बताई लेकिन इसे पिछले मिशन की तुलना में सस्ता बताया।

आईस्पेस का दूसरा प्रयास

यह आईस्पेस का दूसरा मिशन है। दो साल पहले उनका पहला लैंडर चांद पर उतरने में असफल रहा था। कंपनी के सीईओ ताकेशी हाकामाडा ने कहा कि यह दौड़ नहीं है बल्कि सटीकता और कुशलता का प्रयास है।

क्या है खास तकनीक?

➤ दोनों यान दिन के उजाले में दो सप्ताह तक काम करेंगे। जैसे ही चांद पर अंधेरा होगा वे काम करना बंद कर देंगे।
➤ आईस्पेस का रोवर चांद की सतह पर सैकड़ों मीटर तक घूमकर मिट्टी और धूल के नमूने इकट्ठा करेगा।

 

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चांद पर पहुंचने वाले देश

अब तक केवल पांच देश चांद पर यान भेजने में सफल रहे हैं:

➤ अमेरिका
➤ रूस (भूतपूर्व सोवियत संघ)
➤ चीन
➤ भारत
➤ जापान

निजी कंपनियों की बढ़ती भूमिका

यह मिशन निजी कंपनियों की अंतरिक्ष क्षेत्र में बढ़ती भागीदारी को दिखाता है। अगर ये यान सफल होते हैं तो यह चांद पर भविष्य की खोज और इंसानी बस्तियों के निर्माण की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा।

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