स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने मुख्य सचिव से अधिकारियों की मनमानी पर कार्रवाई की मांग की

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 20 Mar, 2025 09:20 PM

speaker vijender gupta demanded action from the chief secretary

दिल्ली विधानसभा में हाल ही में सत्ता में आई बीजेपी सरकार के गठन के बाद से अधिकारियों और विधायकों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इस तनाव की वजह से अब विधायकों को अपने जरूरी कार्यों और समस्याओं के समाधान के लिए अधिकारियों से जवाब नहीं मिल रहे हैं।

नेशलन डेस्क: दिल्ली विधानसभा में हाल ही में सत्ता में आई बीजेपी सरकार के गठन के बाद से अधिकारियों और विधायकों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इस तनाव की वजह से अब विधायकों को अपने जरूरी कार्यों और समस्याओं के समाधान के लिए अधिकारियों से जवाब नहीं मिल रहे हैं। इसी मुद्दे को लेकर दिल्ली विधानसभा के स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने मुख्य सचिव धर्मेंद्र को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने अधिकारियों के आचरण और उनके साथ विधायकों के व्यवहार पर सवाल उठाए हैं। स्पीकर ने यह मामला बेहद गंभीर बताया है और अधिकारियों से सख्त कदम उठाने की अपील की है।

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अफसरों के खिलाफ स्पीकर का पत्र

स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने मुख्य सचिव धर्मेंद्र को लिखे पत्र में बताया कि उनके पास ऐसे कई मामले आए हैं, जहां विधानसभा के सदस्य अधिकारियों से अपने पत्रों, फोन कॉल्स और संदेशों का जवाब नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं। उन्होंने इसे बेहद गंभीर मामला बताया और कहा कि यह लोकतंत्र की मर्यादा के खिलाफ है। गुप्ता ने पत्र में यह भी कहा कि अधिकारियों द्वारा विधायकों के संचार का जवाब न देना, सरकारी प्रक्रिया और प्रोटोकॉल के खिलाफ है। उन्होंने मुख्य सचिव से अपील की कि सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, दिल्ली पुलिस और डीडीए जैसे विभागों को मानक और प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए सुनिश्चित किया जाए।

AAP का बीजेपी पर तंज

वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस मुद्दे पर बीजेपी पर तंज कसा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अब बीजेपी को यह समझ में आ रहा है कि अफसरशाही की मनमानी क्या होती है। भारद्वाज ने कहा, "बीजेपी ने पिछले दस सालों में अफसरों को यही सिखाया था कि विधायकों और मंत्रियों की बात नहीं मानी जाए, लेकिन अब जब खुद बीजेपी सत्ता में आई है, तो उसे यही अफसरशाही परेशान कर रही है।" सौरभ भारद्वाज ने आगे कहा कि "पहले बीजेपी इन अफसरों की तरफदारी करती थी, और अब उन्हें कर्तव्य सिखाया जा रहा है। बीजेपी को समझ में आ रहा है कि लोकतंत्र को कमजोर करने से सिर्फ देश और जनता का नुकसान होता है।"

अफसरशाही पर विवाद और सरकार की सख्त कार्रवाई

दिल्ली में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद यह मामला कई सवाल खड़े कर रहा है। जब विधायकों को अपना काम करने के लिए अधिकारियों से मदद नहीं मिल रही है, तो यह किस हद तक लोकतंत्र की सख्त अवहेलना है। स्पीकर द्वारा उठाए गए इस मुद्दे से यह स्पष्ट हो रहा है कि दिल्ली सरकार को अब अफसरशाही के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है। अधिकारी यदि जनप्रतिनिधियों के प्रति अपने व्यवहार में सुधार नहीं करते, तो यह स्थिति लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए हानिकारक हो सकती है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार के लिए यह चुनौती भी बन गई है कि कैसे वह अधिकारियों के साथ बेहतर तालमेल बनाए रखते हुए जनहित के फैसले ले सकती है।


 

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