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अनिरुद्ध कुमार पांडेय से प्रेमानंद जी महाराज बनने का तक का आध्यात्मिक सफर, 13 वर्ष की आयु में लिए थे संन्यास

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 13 Feb, 2025 11:49 AM

spiritual journey from aniruddh kumar pandey to premanand ji maharaj

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के एक छोटे से गांव अखरी में जन्मे संत प्रेमानंद जी महाराज, जिनका असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय था, का जीवन बचपन से ही धार्मिक आभा से ओत-प्रोत था। उनके माता-पिता अत्यंत धार्मिक थे, जिससे उनके भीतर भक्ति के बीज जल्दी ही...

नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के एक छोटे से गांव अखरी में जन्मे संत प्रेमानंद जी महाराज, जिनका असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय था, का जीवन बचपन से ही धार्मिक आभा से ओत-प्रोत था। उनके माता-पिता अत्यंत धार्मिक थे, जिससे उनके भीतर भक्ति के बीज जल्दी ही अंकुरित हो गए थे। बचपन में ही उन्होंने महसूस किया कि उनका जीवन कुछ और ही उद्देश्य से जुड़ा हुआ है। 13 वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने सांसारिक मोह-माया को त्याग कर संन्यास का मार्ग अपना लिया। वे तपस्या के लिए वाराणसी गए, जहां उन्होंने गंगा तट पर घंटों ध्यान किया और गंगाजल पर दिन बिताए। उनकी यह कठिन साधना देखकर एक संत ने कहा था कि "यह बालक साधारण आत्मा नहीं है, यह 80 वर्षों तक भक्तों का मार्गदर्शन करेगा।"

वृंदावन में आध्यात्मिक यात्रा और आश्रम की स्थापना
वाराणसी की कठिन तपस्या के बाद प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन पहुंचे, जहां उन्होंने श्री हित गौरांगी शरण जी महाराज से दीक्षा ली। वृंदावन के पावन धाम में उन्होंने भक्ति का एक नया अध्याय लिखा और "श्री हित राधा केली कुंज" आश्रम की स्थापना की। इस आश्रम में भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति का प्रशिक्षण दिया जाता है। उनके प्रवचन केवल धार्मिक उपदेश नहीं होते, बल्कि वे जीवन जीने की कला सिखाते हैं। उनका मानना है कि कलयुग में केवल नाम संकीर्तन ही मनुष्य को भवसागर से पार कर सकता है। उनके सत्संगों में शामिल होने वाले लोगों की जीवन में चमत्कारी परिवर्तन देखने को मिलते हैं।

प्रेमानंद जी महाराज का संदेश: प्रेम और भक्ति ही है असली शक्ति
प्रेमानंद जी महाराज का मानना था, "राधा नाम का जाप करने से ही जीवन में शांति और समृद्धि आती है।" वे यह भी कहते थे कि भक्ति केवल मंदिरों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि उसे अपने जीवन में उतारना चाहिए। उनके प्रवचन और शिक्षाएं लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लेकर आईं। उनकी कृपा से न केवल वृंदावन बल्कि पूरे देश-विदेश में लोग उनके संदेश को सुनते हैं। महाराज जी की वाणी में ऐसी दिव्य शक्ति है, जो किसी भी दुखी मनुष्य के जीवन को रोशन कर सकती है।

युवाओं और महिलाओं के जीवन में परिवर्तन
संत प्रेमानंद जी महाराज ने भक्ति के साथ-साथ समाज सुधार के लिए भी कई कदम उठाए। उन्होंने खासकर युवाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण पर ध्यान दिया। उनके आश्रम में धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा, ध्यान, योग, और आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी जाती है। विशेष रूप से उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने और भक्ति में शक्ति पहचानने का संदेश दिया। कई महिलाओं को उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया और उनका जीवन बदल दिया।



 

 

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