Edited By Yaspal,Updated: 07 Nov, 2024 07:54 PM
राजस्थान के भीलवाड़ा में कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री की हनुमत कथा में भगदड़ मचने का मामला सामने आया है। जिसमें कई महिलाएं घायल हुई हैं। बताया जा रहा है कि आयोजकों की लापरवाही के कारण हादसा हुआ है
जयपुरः राजस्थान के भीलवाड़ा में कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री की हनुमत कथा में भगदड़ मचने का मामला सामने आया है। जिसमें कई महिलाएं घायल हुई हैं। बताया जा रहा है कि आयोजकों की लापरवाही के कारण हादसा हुआ है। सुरक्षा गार्डों की भी लापरवाही सामने आई है। बताया जा रहा है कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। कथा का आयोजन 10 नवंबर तक होना है।
सूत्रों के मुताबिक भगदड़ के पीछे कथा समिति की लापरवाही सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक ठीक तरह से व्यवस्था नहीं की गई। ये भगदड़ वीआईपी गेट पर मची। अगर आम लोगों के प्रवेश द्वार पर भगदड़ मचती तो बड़ा हादसा हो सकता था। आयोजन समिति की ओर से वीआईपी पास दिए जा रहे थे। लेकिन भीड़ को नियंत्रित नहीं किया गया। जिसकी वजह से यहां अधिक लोग इकट्ठा हो गए। इसके बाद एकदम भगदड़ मच गई।
महिला ने लगाये ये आरोप
घायल महिला चन्द्रकला सोमानी ने कहा कि हमारे पास वीआईपी पास है। मगर जब हम अंदर जाने लगे तो बाहर निकाल दिया गया। इसके कारण वहां कुछ समय के लिए अफरा-तफरी मच गई। यदि वीआईपी में बैठने की जगह नहीं थी तो इतने पास जारी क्यों किए गए। अभी हमारी जान चली जाती तो इनका क्या जाता। पुलिस वाले भी हमसे बदतमिजी कर रहे हैं।
महन्त बनवारीशरण ने कही ये बात
वहीं जिन संत के सानिध्य में कथा का आयोजन हो रहा है काठिया वाले बाबा महन्त बनवारीशरण ने कहा कि पुलिस और प्रशासन सुरक्षा कर रहे हैं अच्छी बात है मगर जो यह मनमानी की जा रही है वह गलत बात है। हमसे वीआईपी पास को लेकर भी कोई चर्चा नहीं की गई थी। वहीं कथा समिति संयोजक आशीष ने कहा कि हम पास बना रहे हैं लेकिन कई लोगों ने उसके डुप्लीकेट पास बना लिए। इसके कारण हम उनको अंदर जाने से रोक रहे हैं।
हाथरस में गई थी 100 से अधिक लोगों की जान
इसी साल जुलाई में हाथरस में भी कथा कार्यक्रम में भगदड़ मचने का मामला सामने आया था। जिसमें 100 से अधिक लोगों की मौतें हुई थी। भगदड़ के बाद बेहोश लोगों को एटा के अस्पताल में दाखिल करवाया गया था। हादसे की वजह सुरक्षाकर्मियों का लोगों को रोका जाना था। इसके बाद कई लोगों ने दम घुटने की शिकायत की थी। हाथरस के फुलराई गांव में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के आयोजन के लिए अनुमति ली गई थी। लेकिन कथा सुनने के लिए उम्मीद से अधिक भीड़ जुट गई थी।