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Airtel-Jio के साथ सस्ती हो सकती है Starlink सेवा, जानें कैसे मिलेगा फायदा

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 15 Mar, 2025 08:34 PM

starlink service can become cheaper with airtel jio

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा जल्द ही आम लोगों की पहुंच में आ सकती है। टेलीकॉम क्षेत्र के दो बड़े खिलाड़ी भारती एयरटेल और रिलायंस जियो, एलोन मस्क की सैटकॉम कंपनी स्टारलिंक के साथ मिलकर इसकी सेवाओं को भारतीय बाजार में किफायती बना सकते है।

नेशनल डेस्क: भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा जल्द ही आम लोगों की पहुंच में आ सकती है। टेलीकॉम क्षेत्र के दो बड़े खिलाड़ी भारती एयरटेल और रिलायंस जियो, एलोन मस्क की सैटकॉम कंपनी स्टारलिंक के साथ मिलकर इसकी सेवाओं को भारतीय बाजार में किफायती बना सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन दूरसंचार कंपनियों के मौजूदा ऑफर्स में आसान भुगतान और इंस्टॉलेशन विकल्पों के साथ स्टारलिंक की सेवाएं शामिल करने से इनकी लागत कम हो सकती है।

क्यों होंगे स्टारलिंक प्लान सस्ते?

उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं का सफल होना सही मूल्य निर्धारण पर निर्भर करेगा। वर्तमान में, फाइबर और फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस (FWA) सेवाएं भारतीय बाजार में अपेक्षाकृत सस्ती हैं और उपभोक्ता तभी सैटकॉम सेवाओं की ओर रुख करेंगे जब उनके पास कोई अन्य विकल्प न हो। ईवाई इंडिया के टेलीकॉम सेक्टर लीडर प्रशांत सिंघल के अनुसार, "स्थानीय टेलीकॉम कंपनियों के साथ साझेदारी से उपभोक्ताओं के लिए सैटेलाइट हार्डवेयर की ऊंची कीमत को कम किया जा सकता है।"

सैटकॉम सेवाओं की मौजूदा कीमतें और भारत में चुनौती

भारत में औसत ब्रॉडबैंड उपयोगकर्ता का मासिक खर्च (ARPU) लगभग 6-8 डॉलर है, जबकि अमेरिका में स्टारलिंक की सेवाओं की कीमत 120 से 500 डॉलर प्रति माह तक होती है। इसके अलावा, हार्डवेयर खरीदने के लिए भी 599 से 2500 डॉलर तक का खर्च आ सकता है। दूसरी ओर, केन्या जैसे देशों में यह सेवा अपेक्षाकृत सस्ती है, जहां मासिक प्लान 10 डॉलर से शुरू होते हैं और हार्डवेयर की कीमत 178-381 डॉलर के बीच है। बर्नस्टीन के अनुसार, वर्तमान कीमतों के आधार पर, स्टारलिंक की सेवाएं भारत के मौजूदा ब्रॉडबैंड प्रदाताओं की तुलना में 10-14 गुना अधिक महंगी हैं। यह कीमतें भारतीय ग्रामीण और कम आय वाले उपभोक्ताओं के लिए बहुत ज्यादा हो सकती हैं।

सरकार की भूमिका और संभावित बाजार

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत सरकार LEO (Low Earth Orbit) सैटेलाइट सेवाओं के लिए सब्सिडी प्रदान करती है, तो स्टारलिंक को भारत में प्रतिस्पर्धा करने में आसानी होगी। DAM कैपिटल की रिपोर्ट के अनुसार, स्टारलिंक की सेवाएं भारत में मुख्य रूप से रक्षा, स्वास्थ्य सेवा और एयरलाइंस जैसे उद्यम क्षेत्रों में उपयोगी हो सकती हैं। हालांकि, दूरसंचार कंपनियों के मजबूत क्षेत्रीय नेटवर्क और सैटेलाइट इंटरनेट की ऊंची लागत को देखते हुए, खुदरा स्तर पर इसका व्यापक रूप से अपनाया जाना मुश्किल है।

एयरटेल और जियो का रुख

फिलहाल, जियो और एयरटेल ने इस विषय पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन टेलीकॉम कंपनियां अगर स्टारलिंक के साथ साझेदारी करती हैं, तो इससे उपभोक्ताओं को अधिक किफायती सैटेलाइट इंटरनेट सेवा मिल सकती है।

 

 

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