राज्यों को 12वीं तक सभी के लिए शारीरिक कक्षाएं बंद करने का निर्णय लेना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

Edited By Mahima,Updated: 18 Nov, 2024 04:08 PM

states should decide to close physical classes of 12 supreme court

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है जिसमें कहा गया कि राज्यों को गंभीर प्रदूषण के कारण 12वीं कक्षा तक के सभी छात्रों के लिए  physical classes को बंद करने का निर्णय लेना चाहिए।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम आदेश देते हुए कहा कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के सभी राज्यों को कक्षा 12 तक के छात्रों के लिए सभी शारीरिक शिक्षा (पीई) कक्षाएं तत्काल बंद करने का निर्णय लेना चाहिए। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निर्देश मांगने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने प्रदूषण के खतरे को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाने का निर्देश दिया। कोर्ट का कहना था कि जब वायु गुणवत्ता का स्तर इस हद तक खराब हो, तो शारीरिक गतिविधियों से बच्चों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है। ऐसे में कक्षा 12 तक के छात्रों के लिए भौतिक शिक्षा कक्षाएं रोक देना बेहद आवश्यक है।

दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर स्थिति
इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की। राजधानी में सोमवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 486 तक पहुंच गया, जो इस मौसम का सबसे खराब स्तर था और यह लगातार दूसरे दिन "गंभीर प्लस" श्रेणी में बना रहा। यह स्तर न केवल वयस्कों के लिए, बल्कि बच्चों के लिए भी अत्यंत खतरनाक है। उच्च AQI स्तर में जहरीली गैसों और बारीक कणों (PM2.5) की मात्रा बढ़ जाती है, जो श्वसन तंत्र पर गंभीर असर डाल सकती है, विशेषकर बच्चों में।

दिल्ली सरकार और सीएक्यूएम को फटकार
कोर्ट ने दिल्ली सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को भी कड़ी फटकार लगाई, जो ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निर्धारित प्रतिबंधों को लागू करने में देरी कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए तय किए गए उपायों को समय पर लागू करना चाहिए था, लेकिन इसमें अनावश्यक देरी हो रही है, जिससे नागरिकों, खासकर बच्चों के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। "इस स्थिति को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और तत्काल प्रभाव से कदम उठाए जाने चाहिए," सुप्रीम कोर्ट ने कहा। 

GRAP का महत्व
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) एक तंत्र है जिसे दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के विभिन्न स्तरों के हिसाब से लागू किया जाता है। इस योजना के तहत, जैसे-जैसे प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, वैसे-वैसे प्रदूषण विरोधी उपायों को लागू किया जाता है। इनमें निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध, ट्रकों की आवाजाही पर कड़े नियंत्रण, और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को रोकने जैसे कदम शामिल हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना के पालन में हो रही देरी पर गंभीर चिंता जताई है।

कोर्ट का बच्चों की सुरक्षा पर जोर
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव को लेकर बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की बात की। कोर्ट ने कहा कि जब वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो, तो स्कूलों को शारीरिक शिक्षा की कक्षाएं बंद करने का निर्णय लेने में कोई देर नहीं करनी चाहिए। इससे बच्चों को प्रदूषण के प्रभाव से बचाया जा सकेगा और उनका स्वास्थ्य सुरक्षित रहेगा।

प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभाव
दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जो श्वसन तंत्र, हृदय और मस्तिष्क की समस्याओं का कारण बन सकता है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर से बच्चों में अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस, और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक खराब वायु गुणवत्ता का सामना करने से बच्चों के फेफड़ों का विकास रुक सकता है, जिससे भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

क्या कदम उठाए जाएंगे?
इस फैसले के बाद, अब यह देखना होगा कि राज्य सरकारें और स्थानीय प्रशासन कितनी जल्दी इस आदेश को लागू करते हैं और प्रदूषण नियंत्रण के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं। यदि प्रदूषण के स्तर को जल्दी काबू नहीं पाया जाता, तो न केवल बच्चों, बल्कि पूरे समुदाय की सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से यह स्पष्ट होता है कि प्रदूषण की स्थिति को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और प्रदूषण नियंत्रण उपायों को तत्काल लागू किया जाना चाहिए, ताकि नागरिकों की सेहत और जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश प्रदूषण से उत्पन्न खतरे से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह आदेश विशेष रूप से बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए दिया गया है, जो प्रदूषण के सबसे अधिक शिकार होते हैं। अब यह राज्य सरकारों और संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस आदेश को तुरंत लागू करें और प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रभावी उपायों को अपनाएं।

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