Edited By Mahima,Updated: 15 Nov, 2024 03:04 PM
भारत में 18% लोग एक साधारण वाक्य भी नहीं पढ़-लिख सकते, जबकि 20% को जोड़-घटाव भी नहीं आता। नेशनल सैंपल सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, स्कूल न जाने के कारणों में आर्थिक तंगी कम और बच्चों की अनिच्छा ज्यादा है। गांवों में साक्षरता दर अधिक खराब है, और...
नेशनल डेस्क: भारत में शिक्षा और साक्षरता की दिशा में कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जिनकी एक नई तस्वीर नेशनल सैंपल सर्वे (NSS) की ताजा रिपोर्ट में सामने आई है। इस रिपोर्ट से पता चला है कि भारत की 18 प्रतिशत आबादी ऐसी है जो एक भी साधारण वाक्य पढ़ या लिख नहीं सकती। इसके अलावा, 20 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिन्हें सामान्य जोड़-घटाव भी नहीं आता।
स्कूल न जाने की मुख्य वजह आर्थिक तंगी नहीं
नेशनल सैंपल सर्वे की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में शिक्षा के क्षेत्र में कई गहरे मुद्दे हैं, जिनमें से एक बड़ा कारण बच्चों का स्कूल न जाना है। हैरान करने वाली बात यह है कि स्कूल न जाने का मुख्य कारण आर्थिक तंगी नहीं है, बल्कि कई बच्चे इसलिए स्कूल नहीं जाते क्योंकि वे पढ़ाई में रुचि नहीं रखते या फिर उनके माता-पिता उन्हें स्कूल भेजने में दिलचस्पी नहीं रखते। रिपोर्ट के अनुसार, 24 प्रतिशत बच्चे पढ़ाई के प्रति अनिच्छा के कारण स्कूल नहीं जाते, जबकि 21 प्रतिशत के माता-पिता नहीं चाहते कि उनके बच्चे पढ़ाई करें। सर्वे में यह भी सामने आया कि केवल 2 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने कभी स्कूल ही नहीं देखा। केरल राज्य को छोड़कर भारत के बाकी हिस्सों में यह समस्या कहीं न कहीं मौजूद है, हालांकि केरल में लगभग हर बच्चा स्कूल जाता है।
18 प्रतिशत लोग एक लाइन भी नहीं पढ़ सकते
भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार, 78 करोड़ लोग साक्षर हैं, लेकिन इनमें से 40 करोड़ लोग ऐसे हैं जो केवल अपना नाम ही लिख सकते हैं, लेकिन पूरी तरह से पढ़ाई में सक्षम नहीं हैं। नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्ट में बताया गया कि 15 साल से ऊपर के 81.6 प्रतिशत लोग किसी सरल वाक्य को पढ़ और लिख सकते हैं। इसका मतलब यह है कि भारत की 18 प्रतिशत आबादी ऐसी है जो किसी साधारण वाक्य को भी पढ़ने-लिखने में सक्षम नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, यह स्थिति विशेष रूप से महिलाओं के बीच गंभीर है। 25 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें एक साधारण वाक्य भी ठीक से पढ़ने-लिखने में कठिनाई होती है, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 11.7 प्रतिशत है।
गांवों में साक्षरता की स्थिति और भी खराब
साक्षरता की स्थिति शहरी और ग्रामीण इलाकों में अलग-अलग है। गांवों में साक्षरता दर शहरी इलाकों से कहीं ज्यादा कम है। सर्वे के मुताबिक, गांवों में रहने वाले 22 प्रतिशत लोग पढ़-लिख नहीं सकते। वहीं, शहरी इलाकों में यह आंकड़ा करीब 10 प्रतिशत के आसपास है। हालांकि, यह आंकड़ा भी चिंता का विषय है, क्योंकि देश के अधिकांश स्कूल ग्रामीण इलाकों में हैं।
20 प्रतिशत लोग नहीं जानते जोड़-घटाव
सर्वे से एक और हैरान करने वाला आंकड़ा सामने आया है कि हर 10 में से 2 लोग साधारण जोड़-घटाव भी नहीं जानते। रिपोर्ट में बताया गया कि 81.2 प्रतिशत लोग जोड़-घटाव कर सकते हैं, जबकि 19 प्रतिशत लोगों को यह भी नहीं आता। इसमें 12 प्रतिशत पुरुष और 25 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। खासतौर पर गांवों में, जहां 25 प्रतिशत लोग जोड़-घटाव नहीं कर पाते, जबकि शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 10 प्रतिशत है। महिलाओं में यह आंकड़ा और भी ज्यादा है, जहां 30 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं और 14 प्रतिशत शहरी महिलाएं जोड़-घटाव की सामान्य प्रक्रिया से भी अनजान हैं।
साइंस और टेक्नोलॉजी में शिक्षा की कमी
नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि भारत में अधिकतर लोग साइंस और टेक्नोलॉजी में शिक्षा लेने से बचते हैं। 21 साल से ऊपर की आबादी में से केवल 34 प्रतिशत लोग ही साइंस या टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन कर पाए हैं। इसमें भी पुरुषों की तुलना में महिलाएं पीछे हैं, जहां केवल 29 प्रतिशत महिलाएं और 37 प्रतिशत पुरुष साइंस या टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन कर चुके हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत में इन क्षेत्रों में शिक्षा की कमी है, जो भविष्य में तकनीकी विकास को प्रभावित कर सकता है।
पढ़ाई, नौकरी और प्रशिक्षण से दूर 25 प्रतिशत युवा
भारत में 25 प्रतिशत से ज्यादा युवा ऐसी स्थिति में हैं, जहां न तो वे पढ़ाई कर रहे हैं, न ही किसी नौकरी में हैं, और न ही किसी तरह की प्रशिक्षण ले रहे हैं। इनमें से 44 प्रतिशत महिलाएं हैं, जो इस श्रेणी में आती हैं। यह आंकड़ा युवा बेरोजगारी और शिक्षा के प्रति बढ़ती अनिच्छा को दर्शाता है, जो भविष्य के लिए एक गंभीर चुनौती हो सकती है।
43 प्रतिशत लोग इंटरनेट का उपयोग नहीं करते
इंटरनेट का उपयोग भी भारत में काफी सीमित है। सर्वे के अनुसार, तीन महीने पहले के आंकड़ों के अनुसार, 43 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिन्होंने इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं किया था। यह आंकड़ा तब है जब अधिकांश क्षेत्रों में इंटरनेट की उपलब्धता बढ़ी है और लोग डिजिटल माध्यमों के संपर्क में आ रहे हैं।
यह रिपोर्ट भारत में शिक्षा, साक्षरता और डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में कई गंभीर समस्याओं को उजागर करती है। हालांकि सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन इस सर्वे के आंकड़े दर्शाते हैं कि अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों, महिलाओं, और युवाओं के बीच शिक्षा और कौशल विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अगर हम सशक्त और समृद्ध समाज की ओर बढ़ना चाहते हैं, तो इन मुद्दों को प्राथमिकता देना अनिवार्य है।