Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 16 Feb, 2025 05:13 PM
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भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने हाल ही में राज्य सरकारों को एक नया निर्देश जारी किया है। इसके तहत, अब हाईवे पर हर 75 किलोमीटर के दायरे में कम से कम दो बैटरी चार्जिंग...
नेशनल डेस्क: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने हाल ही में राज्य सरकारों को एक नया निर्देश जारी किया है। इसके तहत, अब हाईवे पर हर 75 किलोमीटर के दायरे में कम से कम दो बैटरी चार्जिंग स्टेशन (BCS) और बैटरी स्वैप स्टेशन (BSS) बनाए जाएंगे। इस कदम से देश में इलेक्ट्रिक वाहन चलाने की सुविधा और भी आसान होगी और लोग लंबी दूरी तय करने के दौरान चार्जिंग की समस्या से नहीं जूझेंगे। बैटरी स्वैपिंग एक नया और अत्यंत उपयोगी तरीका है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों की लंबी यात्रा को आसान बनाएगा। फिलहाल, जब EV की बैटरी पूरी तरह से खत्म हो जाती है, तो उसे चार्ज होने में काफी समय लगता है। लेकिन, बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों पर वाहन मालिक अपनी डिस्चार्ज बैटरी को आसानी से चार्ज की हुई बैटरी से बदल सकेंगे, जिससे समय की बचत होगी। स्वैपिंग स्टेशनों पर कम से कम तीन सेट बैटरी के होंगे, ताकि ग्राहकों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
पेट्रोल पंपों पर भी होंगे चार्जिंग और स्वैपिंग स्टेशन
केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने राज्य सरकारों को यह सलाह दी है कि वे पेट्रोल पंपों के संचालकों को भी चार्जिंग और स्वैपिंग स्टेशन बनाने के लिए प्रेरित करें। इस तरह से पेट्रोल पंपों के पास ही ईवी चार्जिंग की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी, जिससे वाहन मालिकों को रास्ते में रुककर चार्जिंग की चिंता नहीं होगी।
स्वैपिंग स्टेशनों पर क्या होगा प्रक्रिया
स्वैपिंग स्टेशन पर जब एक वाहन मालिक अपनी डिस्चार्ज बैटरी को बदलने आएगा, तो उसे एक चार्ज बैटरी मिलेगी। यह प्रक्रिया लगभग 15 मिनट के भीतर पूरी की जाएगी। हालांकि, स्वैप की गई बैटरी की मैन्युफैक्चरिंग डेट में 90 दिन का अंतर हो सकता है। यदि वाहन मालिक को बैटरी पुरानी होने का संदेह हो, तो वह गंतव्य पर पहुंचने के बाद वाहन निर्माता के शोरूम में जाकर बैटरी को बदल सकता है।
राज्य सरकारों के लिए निर्देश
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने राज्यों के लिए नोडल एजेंसी बनाने का निर्देश दिया है। यह एजेंसी राज्य के डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियों) से समन्वय करेगी और चार्जिंग और स्वैपिंग स्टेशन के इन्फ्रास्ट्रक्चर को प्रभावी तरीके से लागू करेगी। इसके साथ ही, मंत्रालय ने यह भी कहा कि बीसीएस और बीएसएस के राष्ट्रीय नेटवर्क के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार किया जाएगा, ताकि देशभर में एक समान और प्रभावी चार्जिंग नेटवर्क बने।
राष्ट्रीय नेटवर्क की निगरानी
बिजली मंत्रालय ने इस पूरे प्रोजेक्ट की निगरानी के लिए एक केंद्रीय संचालन समिति का गठन किया है। इस समिति की जिम्मेदारी होगी कि वह चार्जिंग और स्वैपिंग स्टेशनों के निर्माण, कार्यान्वयन और उनकी प्रभावशीलता की समीक्षा करे। साथ ही, राज्य स्तरीय संचालन समिति भी बनाई जाएगी, जो स्थानीय स्तर पर इस योजना की निगरानी करेगी।