Boeing Starliner की नाकामी और सुनीता विलियम्स की 9 माह स्पेस कैद व वापसी की कहानी, यहां पढ़ें सबकुछ (Videos)

Edited By Tanuja,Updated: 19 Mar, 2025 03:22 PM

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: Boeing द्वारा निर्मित Starliner अंतरिक्ष यान  नासा के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स में से एक था, लेकिन इसकी  तकनीकी खामियों और बार-बार की देरी के कारण यह एक बड़ी चुनौती बन गया। इस अंतरिक्ष यान ने

Washington: Boeing द्वारा निर्मित Starliner अंतरिक्ष यान  नासा के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स में से एक था, लेकिन इसकी  तकनीकी खामियों और बार-बार की देरी के कारण यह एक बड़ी चुनौती बन गया। इस अंतरिक्ष यान ने  NASA की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को उनकी निर्धारित 8 दिन की मिशन अवधि से 9 महीने अधिक  स्पेस स्टेशन पर रोके रखा।  5 जून 2024 को लॉन्च हुए इस मिशन में कई बाधाएं आईं, जिसके कारण आखिरकार  SpaceX के ड्रैगन कैप्सूल  के जरिए दोनों को मार्च 2025  में पृथ्वी पर लौटना पड़ा।  18-19  मार्च 2025 को SpaceX ड्रैगन कैप्सूल के जरिए  सुनीता और बुच सुरक्षित पृथ्वी पर लौटे ।  वे फ्लोरिडा के तट पर लैंड हुए, जहां NASA के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने उनकी जांच की।   इस मिशन में 286 दिन (लगभग 9 महीने) की अतिरिक्त देरी हुई ।

 

— MANOJ TIWARY (@tiwarymanoj) March 19, 2025

 Starliner: कब और कैसे हुआ निर्माण? 
 NASA ने अक्टूबर 2011 में Boeing को Starliner नामक स्पेसक्राफ्ट बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया**। इसका मकसद था,  अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) तक भेजने के लिए एक सुरक्षित और भरोसेमंद प्रणाली विकसित करना । लेकिन, इस प्रोजेक्ट में लगातार देरी होती गई।  

  •  2017:  Starliner का पहला प्रोटोटाइप तैयार हुआ।  
  •  2019:  पहली मानवरहित उड़ान की गई।  
  •  2020-2022:  लगातार उड़ानों में दिक्कतें आती रहीं।  
  •  2024: पहली मानवयुक्त उड़ान (Crew Flight Test) के तहत सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को ISS भेजा गया।  



 Starliner की पहली उड़ान से लेकर समस्याओं तक की पूरी कहानी  

 1. पहली मानवरहित उड़ान (2019): जब यान गलत ऑर्बिट में चला गया। 20 दिसंबर 2019 को Starliner की  पहली ऑर्बिटल टेस्ट फ्लाइट (OFT-1)  लॉन्च की गई। लेकिन उड़ान में सॉफ्टवेयर गड़बड़ी  के कारण यान  गलत ऑर्बिट में चला गया और ISS से डॉकिंग नहीं हो पाई । दो दिन बाद इसे न्यू मैक्सिको के व्हाइट सैंड्स मिसाइल रेंज में उतारा गया। इस दौरान  नेविगेशन सिस्टम और टाइमिंग एरर का भी पता चला।  

 2. दूसरी मानवरहित उड़ान (2022): थ्रस्टर फेल हुए, फिर भी NASA ने आगे बढ़ाया।अगस्त 2021 में उड़ान की तैयारी के दौरान स्पेसक्राफ्ट के 13 प्रोपल्शन वॉल्व फेल हो गए।   Boeing ने पूरे सिस्टम की मरम्मत की और  19 मई 2022 को OFT-2 उड़ान  भरी।  लेकिन इस बार भी ऑर्बिटल मैन्यूवरिंग और एटीट्यूड कंट्रोल थ्रस्टर्स फेल हो गए। किसी तरह 22 मई 2022 को ISS से इसे जोड़ा गया ।  25 मई 2022 को यह स्पेसक्राफ्ट वापस धरती पर आया लेकिन नेविगेशन सिस्टम और GPS सैटेलाइट से कनेक्शन टूट गया ।  

 

— Mufaddal Vohra (@mufaddal_vohra) March 19, 2025


 8 दिन की यात्रा 9 महीने लंबी हो गई 
तीसरी मानवयुक्त उड़ान की योजना (2017 से 2024 तक देरी) :2017 में NASA ने Starliner की पहली मानवयुक्त उड़ान (Crew Flight Test) की घोषणा की । लेकिन इसमें लगातार देरी  होती रही।   2023 में लॉन्चिंग की योजना बनाई गई, लेकिन  एटलस V रॉकेट के ऑक्सीजन वॉल्व में खराबी  के कारण इसे टाल दिया गया।  मई 2024 में हीलियम लीक  की वजह से लॉन्चिंग फिर रुकी।   अंततः 5 जून 2024 को सुनीता विलियम्स और बैरी बुच विल्मोर को Starliner के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया ।   उन्हें  8 दिन बाद 13 जून 2024 को लौटना था  लेकिन तकनीकी खराबियों के कारण यह मिशन 9 महीने लंबा हो गया ।  

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 9 महीने तक क्यों फंसे रहे सुनीता और बुच? 
Starliner से जुड़ी तकनीकी खामियों के कारण स्पेसक्राफ्ट को  ISS से अलग नहीं किया जा सका ।  यान की दिशा नियंत्रित करने वाले कुछ थ्रस्टर खराब हो गए।   सिस्टम में हीलियम रिसाव पाया गया। ISS से डॉकिंग के लिए आवश्यक सेंसर और कम्युनिकेशन सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहे थे।   पृथ्वी पर लौटने के लिए आवश्यक GPS डेटा फेल हो गया था।   जब Boeing की टीम इन समस्याओं को हल नहीं कर पाई, तो  NASA ने SpaceX के ड्रैगन कैप्सूल का सहारा लिया ।  

 

— News18 (@CNNnews18) March 19, 2025

Starliner मिशन पर सवाल और भविष्य की योजना 
Boeing और NASA के लिए Starliner मिशन एक  सबक  साबित हुआ।   लगातार तकनीकी खराबियों के कारण अब Boeing की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।   NASA अब  SpaceX को ज्यादा प्राथमिकता  दे सकता है, क्योंकि क्रू ड्रैगन कैप्सूल लगातार सफल उड़ानें भर रहा है ।   Boeing को अपने  थ्रस्टर सिस्टम, हीलियम लीक, और नेविगेशन सिस्टम  पर बड़े सुधार करने होंगे।  NASA के अधिकारी अभी भी इस पर मंथन कर रहे हैं कि क्या भविष्य में Boeing Starliner को  ISS मिशनों के लिए दोबारा इस्तेमाल किया जाना चाहिए या नहीं ।  

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