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'वक्फ मुद्दे पर मुसलमानों का साथ दें', ईसाई सांसदों का कैथोलिक संगठन से आग्रह

Edited By rajesh kumar,Updated: 07 Dec, 2024 06:01 PM

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ईसाई सांसदों ने राष्ट्रीय राजधानी में कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की बैठक में कहा कि ईसाई समुदाय को वक्फ विधेयक पर एक सैद्धांतिक रुख अपनाना चाहिए क्योंकि यह संविधान में निहित अल्पसंख्यकों के अधिकारों को प्रभावित करता है।

नेशनल डेस्क: ईसाई सांसदों ने राष्ट्रीय राजधानी में कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की बैठक में कहा कि ईसाई समुदाय को वक्फ विधेयक पर एक सैद्धांतिक रुख अपनाना चाहिए क्योंकि यह संविधान में निहित अल्पसंख्यकों के अधिकारों को प्रभावित करता है। भारत में कैथोलिक ईसाइयों के शीर्ष संगठन सीबीसीआई ने तीन दिसंबर को सभी ईसाई सांसदों की एक बैठक बुलाई थी। बैठक में करीब 20 सांसदों ने हिस्सा लिया, जिनमें से ज्यादातर विपक्षी दलों के थे।

बैठक में मौजूद रहे ये नेता 
बैठक में मौजूद रहे एक सूत्र ने बताया कि बैठक में शामिल होने वाले सांसदों में तृणमूल कांग्रेस के संसदीय दल के नेता डेरेक ओ ब्रायन, कांग्रेस सांसद हिबी ईडन, डीन कुरियाकोस, एंटो एंटनी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सांसद जॉन ब्रिटास शामिल थे, जबकि केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन बाद में इसमें शामिल हुए।

सीबीसीआई के अध्यक्ष आर्कबिशप एंड्रयूज ने बैठक की अध्यक्षता की, जो दशकों में पहली बार आयोजित की गई। बैठक के एजेंडे में समुदाय और उसके अधिकारों का समर्थन और सुरक्षा करने में ईसाई सांसदों की भूमिका, अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से ईसाइयों के खिलाफ बढ़ते हमले और खतरे, तथा ईसाई संस्थानों को निशाना बनाने के लिए विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) का दुरुपयोग शामिल था।

वरिष्ठ विपक्षी सांसद का सुझाव 
सूत्र ने कहा कि एक वरिष्ठ विपक्षी सांसद ने सुझाव दिया कि समुदाय के नेतृत्व को ‘‘सकारात्मक बिंदुओं, समुदाय द्वारा निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका'' को भी रेखांकित करना चाहिए और ‘‘केवल नकारात्मक समाचारों पर प्रतिक्रियावादी नहीं होना चाहिए।'' सरकार और जनता को यह बताने का सुझाव दिया गया कि ईसाई संस्थानों में चार में से तीन छात्र वास्तव में विभिन्न समुदायों से हैं।

ऐसे लोगों को बाहर का रास्ता दिखाए ईसाई नेतृत्व
एक सांसद ने कहा कि इसे महज फोटो खिंचवाने के मौके के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, और इस बात पर जोर दिया कि ईसाई नेतृत्व को ‘‘संविधान की रक्षा नहीं करने वालों को बाहर निकालने'' का निर्णय लेना चाहिए। बैठक में शामिल हुए एक सांसद ने पुष्टि की कि कई विपक्षी सांसदों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के कुछ प्रावधानों पर कड़ी आपत्ति जताई, जो अब संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के विचारार्थ है। विधेयक में अन्य प्रावधानों के अलावा, गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने के लिए केंद्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव किया गया है।

बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई
केरल के एक सांसद ने बताया कि लोकसभा और 10 राज्य विधानसभाओं में एंग्लो इंडियन (सभी ईसाई) के लिए सीटें समाप्त किए जाने का मुद्दा भी उठाया गया और हाल के वर्षों में कुछ ईसाई संगठनों के एफसीआरए लाइसेंस को रद्द किए जाने का मुद्दा भी उठाया गया। बैठक में शामिल एक नेता ने बताया, ‘‘बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई, लेकिन सांसदों ने 2014 से सरकार के साथ चर्च के संबंधों को लेकर नेतृत्व की तीखी आलोचना की।

भाजपा सांसद रहे अनुपस्थित 
सूत्र ने बताया कि भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री कुरियन के आने तक, ज़्यादातर विपक्षी सांसद अपनी बात रख चुके थे। दो भाजपा सांसद, जो दोनों ईसाई हैं, अनुपस्थित थे। सूत्र ने बताया कि कम से कम दो सांसदों ने त्रिशूर लोकसभा चुनाव परिणाम का मुद्दा उठाया, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सुरेश गोपी जीते थे। 

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