Edited By Anu Malhotra,Updated: 07 Nov, 2024 08:57 AM
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक मामले में 25 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है, जिसमें अधिकारियों द्वारा एक व्यक्ति का घर गिराया गया था। इस मामले में अदालत ने राज्य सरकार की कार्रवाई को गलत ठहराया और प्रभावित व्यक्ति को हुए नुकसान की...
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक मामले में 25 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है, जिसमें अधिकारियों द्वारा एक व्यक्ति का घर गिराया गया था। इस मामले में अदालत ने राज्य सरकार की कार्रवाई को गलत ठहराया और प्रभावित व्यक्ति को हुए नुकसान की भरपाई करने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वे महाराजगंज जिले में अवैध तरीके से मकान गिराए जाने के मामले की जांच कराएं। यह मामला 2019 में सड़क चौड़ीकरण के लिए मकान ढहाने से संबंधित है, जिसमें याचिकाकर्ता मनोज तिबरवाला आकाश ने 2020 में कोर्ट में अर्जी दायर की थी। उनका दावा था कि सिर्फ 3.70 मीटर की जगह खाली करानी थी, लेकिन 8-10 मीटर से अधिक जमीन का अवैध रूप से अधिग्रहण कर लिया गया।
कोर्ट को यह भी बताया गया कि याचिकाकर्ता को पूर्व सूचना या नोटिस नहीं दिया गया था। केवल ड्रम बजाकर इलाके में इसका ऐलान किया गया। कोर्ट ने इस प्रक्रिया को गलत ठहराया और अधिकारियों को उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए।
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश
- सड़क की चौड़ाई का अभिलेख और नक्शे के आधार पर निर्धारण।
- सड़क के अतिक्रमण हटाने से पहले सर्वेक्षण और सीमांकन अनिवार्य।
- अतिक्रमण पाए जाने पर अतिक्रमणकारी को नोटिस जारी करना।
- अगर अतिक्रमणकारी नोटिस पर आपत्ति जताता है, तो उचित कानूनी प्रक्रिया के अनुसार मौखिक आदेश द्वारा निर्णय लेना।
- आपत्ति खारिज होने पर पुनः नोटिस जारी करना।
- नोटिस के बाद भी अगर कार्रवाई नहीं होती है, तो सक्षम अधिकारी उचित कदम उठा सकते हैं।
- सड़क की चौड़ाई परियोजना के अनुसार पर्याप्त नहीं होने पर भूमि अधिग्रहण की कानूनी प्रक्रिया को पहले पूरा करना।
- कोर्ट ने कहा कि इन दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करते हुए ही भविष्य में ऐसे मामलों पर कार्रवाई की जाए।