Edited By Rahul Rana,Updated: 05 Nov, 2024 12:24 PM
यूपी का मदरसा एक्ट संवैधानिक है या असंवैधानिक, इस पर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा वोर्ड एक्ट 2004 को संवैधानिक घोषित किया है और यूपी मदरसा बोर्ड की संवैधानिकता बरकरार रखी है।
नेशनल डेस्क। यूपी का मदरसा एक्ट संवैधानिक है या असंवैधानिक, इस पर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा वोर्ड एक्ट 2004 को संवैधानिक घोषित किया है और यूपी मदरसा बोर्ड की संवैधानिकता बरकरार रखी है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ प्रावधानों को छोड़कर 'उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004' की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है।
हाई कोर्ट का फैसला खारिज
बता दें कि इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 22 मार्च को यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए सभी छात्रों का दाखिला सामान्य स्कूलों में करवाने का आदेश दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी।
17 लाख छात्रों के भविष्य पर पड़ेगा असर
सुप्रीम कोर्ट में इसपर विस्तार से सुनवाई हुई, जिसके बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने 22 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का यूपी के 16000 से अधिक मदरसों में पढ़ने वाले 17 लाख छात्रों के भविष्य पर असर पड़ेगा।
इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि यूपी मदरसा एक्ट के सभी प्रावधान मूल अधिकार या संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर का उल्लंघन नहीं करते। कोर्ट ने इसे संवैधानिक बताया है। बता दें कि साल 2004 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते ये क़ानून राज्य सरकार ने पास किया था।
UP सरकार ने क्या कहा?
यूपी सरकार इस मामले पर एक्ट को पूरी तरह रद्द करने के पक्ष में नहीं है। सरकार का कहना है कि एक्ट के कुछ हिस्सों की समीक्षा की जा सकती है। पूरे एक्ट को खारिज कर देना सही नहीं होगा। बता दें कि इस साल की शुरुआत में यूपी सरकार ने मदरसों को लेकर एक सर्वे भी कराया था। इस सर्वे में कुल मदरसों की संख्या, मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या और ग़ैर मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या का ज़िलेवार आंकड़ा सरकार ने इकट्ठा किया था।